अयोध्या में कैबिनेट की बैठक, 14 प्रस्ताव मंजूर

  • अयोध्या में वर्षभर लगने वाले विभिन्न मेलों को मिलेगा राजकीय मेले का दर्जा
  • अयोध्या धाम तीर्थ विकास परिषद के गठन, मंदिर म्यूजियम बनाने का फैसला

अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को पहली बार अयोध्या के अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में अपने मंत्रिमंडल की बैठक की।

इसमें 14 महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी मिली। इनमें एक प्रस्ताव अयोध्या में लगने वाले विभिन्न मेलों के संबंध में है। मंत्रिमंडल ने अयोध्या में लगने वाले विभिन्न मेलों को राजकीय मेले का दर्जा देने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही अयोध्या धाम तीर्थ विकास परिषद के गठन के साथ ही 25 एकड़ भूमि में मंदिर म्यूजियम बनाने, अयोध्या शोध संस्थान को अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान का दर्जा देने का भी निर्णय लिया गया है।

बैठक के बाद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी खुद मीडियाकर्मियों को दी। मुख्यमंत्री ने बताया कि अयोध्या के समग्र विकास के लिए पहले से ही केंद्र और राज्य के सहयोग से 178 परियोजनाएं चल रही हैं। इसके अंतर्गत 30 हजार 500 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जा रही है। अयोध्या एक नए युग की ओर जा रही है। पूरी दुनिया आज अयोध्या की तरफ आकर्षित हो रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं।

उन्होंने बताया कि सबसे पहला प्रस्ताव उत्तर प्रदेश में पहली बार अंतर्देशीय राजमार्ग प्राधिकरण के गठन का था, जिसे मंजूरी दी गई है। उत्तर प्रदेश के बारे में ये कहा जाता था कि यह एक लैंड लॉक प्रदेश है। दुनिया के उन देशों ने प्रगति की जिनके पास जलमार्ग है। देश के अंदर भी वो राज्य आगे बढ़ रहे थे जिनके पास जलमार्ग था जो एक्सपोर्ट की सुविधा प्रदान करते थे। हम सब आभारी हैं प्रधानमंत्री मोदी के जिन्होंने देश का पहला इनलैंड वाटरवे वाराणसी से हल्दिया के बीच शुरू किया। इनलैंड वाटरवे अथॉरिटी उत्तर प्रदेश में जल यातायात को बढ़ावा देने में मदद करेगी।

इसके माध्यम से वाटर स्पोर्ट्स की एक्टिविटीज को भी तेजी से आगे बढ़ाने, पर्यटन की सुविधाओं में बढ़ोतरी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को एक्सपोर्ट के एक हब के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी। यूपी में करीब 12 नदियां ऐसी हैं जो जल यातायात के लिए बहुत मायने रखती हैं। जैसे गंगा, यमुना, सरयू, राप्ती, गोमती, इन सभी नदियों में ये सुविधाएं विकसित की जा सकती हैं। इसलिए ये अथॉरिटी भारत सरकार के साथ मिलकर कार्य करेगी और उत्तर प्रदेश को अपने परंपरागत उत्पादों को दुनिया के मार्केट में पहुंचाने के लिए सुविधा विकसित होगी।