जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को हकीकत का एहसास दिलाने के लिए कहा कि वह भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए दुनिया भर से पैसे मांग रहा है और अपने देश में लोगों का पेट भरने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के सामने कड़ी शर्तो पर कर्ज के लिए हाथ फैलाए खड़ा है। यदि यही हमारा पड़ोसी मुल्क हमसे मिलकर रहता तो उसे न तो किसी मुल्क या फिर अंतर्राष्ट्रीय संस्था के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती।
रक्षामंत्री राजनाथ अत्यन्त सौम्य एवं स्पष्टवादी राजनेता हैं। वह जो कुछ भी बोलते हैं, सही और सटीक होता है। अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद भारत सरकार ने कश्मीर को तत्काल 90 हजार करोड़ का पैकेज घोषित किया था। उसके बाद तो कई बार राज्य के विकास कार्यो के लिए वे
केन्द्र सरकार ने धनराशि दी। किन्तु मजे की बात तो यह है कि जितना सरकार ने 2014-15 में जम्मू-कश्मीर को पैकेज राशि दी थी उससे लगभग आधी धनराशि के लिए पाकिस्तान आईएमएफ के सामने गुहार लगा रहा है। राजनाथ सिंह पाकिस्तान को नसीहत दे रहे हैं कि यदि पाकिस्तान सज्जन पड़ोसी जैसा व्यवहार करता तो भारत उसकी हर मुसीबत में खड़ा रहता। यह बात सही भी है कि जो बात राजनाथ सिंह ने रविवार को कही है यही बात विदेशों में बैठे पाकिस्तान के बुद्धिजीवी, व्यवसायी और राजनेता भी कह रहे हैं। कई बुद्धिजीवी जो भारत में आते रहते हैं उनका आंकलन है कि भारत अपने पड़ोसी मित्र देशों की मुसीबतों को दूर करने के लिए उनकी हर संभव मदद करता है। वे हमेशा श्रीलंका और नेपाल का उदाहरण देते हैं। इन दिनों बांग्लादेश में आन्तरिक उथल-पुथल चल रही है किन्तु वास्तविकता है कि उसकी आर्थिक मजबूती के लिए भारत ने ही ढांचागत विकास की नींव रखवाईं है। भारत में किसी भी पार्टी की सरकार हो, उसके लिए पड़ोसी की परवाह पहली प्राथमिकता है। किन्तु पाकिस्तान ऐसा विश्वासघाती देश है, जिसने भारत की हर सरकारों के वक्त अपनी शत्रुता की मिसाल पेश की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो 2014 में अपने शपथ समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री को आमंत्रित करके यह संदेश भी दिया था कि अब से पहले जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाओ, नए सिरे से संबंधों को सुधारों किन्तु पाकिस्तान संबंध क्या सुधारेगा जब वह खुद ही सुधरने को तैयार नहीं!
बहरहाल राजनाथ सिह ने बिल्कुल वही कहा है जो वास्तविकता है।
पाकिस्तान यदि वास्तविकता को स्वीकार कर ले तो दोनों पड़ोसी देशों की मुसीबतें खत्म हो सकती हैं। भारत को हर वर्ष आतंक से निपटने के लिए अरबों खर्च करने से राहत मिलेगी जबकि पाकिस्तान अपने आतंकी गिरोहों के ऊपर खर्च किए जाने वाले पैसों को भुखमरी से शिकार होने वाली जनता के राहत के लिए खर्च कर सकता है। किन्तु यह तभी संभव है जब पाकिस्तान कश्मीर पर अपनी गलतफहमी दूर करे और भारत की पीड़ा को महसूस करे। पाकिस्तान सरकार तो महसूस भी करती है कि उसकी सारी मुसीबतों की जड़ उसके सैन्य प्रतिष्ठान की है, जो भारत से दुश्मनी में ही अपनी भलाई देखता है। यही कारण है कि भारत मानता है कि जब तक विदेश नीति का संचालन और उस पर नियंत्रण पाक सेना का होगा तब तक दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बनना तो बहुत दूर की बात है, बल्कि सामान्य होने की संभावना बहुत कम दिख रही है। लेकिन कुल मिलाकर राजनाथ सिह का तंज पड़ोसी के लिए खरा है, किन्तु है बिल्कुल सच।