चुनाव आयोग ने किया यह नया फैसला, जरूर जानें

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट्स के लिए चुनाव आयोग लगातार सख्त नियम बनाते जा रहा है। हालांकि नया नियम बनाया नहीं गया है बल्कि मजबूरी बस बनाना पड़ा है। चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट से वोटर लिस्ट डाउनलोड करने का विकल्प हटा दिया है।

ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि चुनाव आयोग के मुताबिक उनके पास एस एम एस के क्रेडिट खरीदने पर अभी कोई निर्णय नहीं हो पाया है। पिछले चुनाव में कोई भी व्यक्ति चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर किसी भी क्षेत्र का वोटर लिस्ट पीडीएफ फॉर्मेट में डाउनलोड कर सकता था, उसके लिए उसे अपना मोबाइल नंबर एंटर करना पड़ता था उसके मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आता था उसी को दोबारा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर डाल कर पी डी एफ डाउनलोड किया जा सकता था।

चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया है कि इस बार के क्रेडिट पर किसी तरह का निर्णय नहीं बन सका है, इस विकल्प को डिसएबल करना पड़ा। ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत की लिस्ट को जानने के लिए या पाने के लिए आप स्थानीय अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं इसके अलावा चुनाव आयोग के कार्यालय पर कुछ शुल्क जमा करा कर ले सकते हैं।

अधिसूचना जारी होने में क्यों हो रही देरी

यूपी में होने वाले पंचायत चुुनाव में थोड़ी देरी हो सकती है। पहले माना जा रहा था कि फरवरी के दूसरे सप्ताह तक अधिसूचना जारी हो जाएगी और मार्च से वोटिंग शुरू होकर अप्रैल में चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाए लेकिन अब सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि यह चुनाव अप्रैल में शुरू हो सकते हैं। इस बार ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत के चुनाव एक साथ होंगे।

20 फरवरी के बाद सार्वजनिक होगा फॉर्मूला

यह भी जानकारी में आया है कि आरक्षण का यह नया फॉर्मूला आगामी 20 फरवरी के बाद ही सार्वजनिक किया जाएगा क्योंकि प्रदेश सरकार ने अब पंचायत चुनाव अप्रैल व मई के महीनों में करवाने का मन बना लिया है। अब यह तय किया गया है कि होली के ठीक पहले यानि 26 मार्च के बाद किसी भी दिन पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी और अप्रैल व मई के महीनों में त्रि-स्तरीय चुनाव की पूरी प्रक्रिया सम्पन्न करवायी जाएगी।

चार चरणों में ही होगा चुनाव

राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि पूरे प्रदेश में चार चरणों में ही चुनाव होगा। एक जिले के सभी विकास खंडों को चार हिस्सों में विभाजित करके एक-एक हिस्से के नामांकन दाखिले और मतदान की तारीखें तय की जाएगी। एक हिस्से के मतदान से दूसरे हिस्से के मतदान में तीन दिन का अंतर होना चाहिए।

चुनाव में देरी के पीछे की वजह

बताया जा रहा है कि चुनाव में देरी के पीछे की दो वजहें हैं। 19 मार्च को राज्य सरकार के कार्यकाल के 4 साल पूरे हो रहे हैं। सरकार चाह रही है कि इन चार साल की उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाया जाएगा। इससे सरकार और संगठन दोनों को ही फायदा होगा। सराकर से जुुड़े लोगों का मानना है कि इसका फायदा पंचायत चुुनाव में मिल सकता है। फरवरी के अंतिम सप्ताह में चुनाव कार्यक्रम जारी हुआ तो आचार संहिता लगने से सरकार जश्न नहीं मना पाएगी। वहीं कुुछ लोगों का मानना है कि किसान आंदोलन के कारण भी इसमें देरी हो सकती है, क्योंकि पश्चिमी यूपी के कुछ गांव से जुड़े कई किसान आंदोलन में हैं। इसका असर चुनाव में पड़ सकता है।

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