उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में रविवार को महाकुंभ में आग लग गई। रेलवे पुल के नीचे सेक्टर 19 में गीता प्रेस के शिविर में रविवार की शाम साढ़े चार बजे आग लगी। इस आग में गीता प्रेस के एक सौ से ज्यादा कॉटेज जल कर राख हो गए। हालांकि इन शिविरों में कल्पवास कर रहे सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। महाकुंभ की आग में किसी की जान नहीं गई है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक एक करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति जल गई है। घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। इस अग्निकांड ने कुम्भ मेले में प्रवास कर रहे लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खडे कर दिए हैं ।
अधिकारियों ने बताया कि खाना बनाते समय एक सिलेंडर से रिसाव शुरू हुआ, जिसके बाद उसमें आग लग गई और वह सिलेंडर फट गया। इसके बाद कम से कम तीन सिलेंडर फटने की बात कही जा रही है। आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की 12 गाड़ियां भेजी गई थीं, जिन्होंने आग पर एक घंटे में काबू पाया। बताया जा रहा है कि एक संन्यासी के एक लाख रुपए के नोट भी जल गए। आग बुझाने पर जले हुए नोट मिले हैं। महाकुंभ मेला के चीफ फायर ऑफिसर प्रमोद शर्मा ने बताया कि आग से करीब पांच सौ लोगों को बचाया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटनास्थल पर पहुंच कर हालात का जायजा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री को फोन कर घटना की पूरी जानकारी ली। आग लगने की घटना से कुछ देर पहले ही मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर से महाकुंभ मेला क्षेत्र का जायजा लिया था। बहरहाल, घटना के बाद गीता प्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका ने बताया, ‘लगभग 180 कॉटेज बने हुए थे। हमने बहुत सावधानी से बनाया था। सभी को मना किया गया था कि किसी प्रकार का अग्नि का कोई काम ना करें। जहां हमने सीमा बनाई उसके पार सरकुलेटिव एरिया घोषित किया गया था। पता नहीं प्रशासन ने वह जगह किसे दी, उस तरफ से अग्नि की कोई चीज हमारे तरफ आई और आग फैल गई। हमारा कुछ नहीं बचा सब खत्म हो गया। हमारी रसोई टीन शेड की थी, पक्की थी’।
बाद में उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास व ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने गीता प्रेस से जुड़े लोगों से मुलाकात की। उन्होंने आग लगने से हुए नुकसान का भी जायजा लिया। बाद में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि कुशल फायर ब्रिगेड व एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम ने समय रहते आग पर काबू पा लिया। किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है। स्थिति नियंत्रण में है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, ‘महाकुंभ मेले में लगी आग का तुरंत गंभीरता से संज्ञान लिया जाए और आगे ऐसी दुर्घटना न हो, इसको सुनिश्चित किया जाए।’
गीता प्रेस के टेंट में लगी भीषण आग के कारण बहुत सारे टेंट जलकर राख हो गए इसलिए धन की हानि तो हुईं लेकिन संतोष की बात तो यह है कि किसी की जान भले ही नहीं गईं। हालांकि प्रशासन की सक्रियता पर सवाल उठना तो स्वाभाविक है।
दरअसल जब श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा होती है और कल्पवासियों एवं व्यावसायियों के टेंट ज्यादा लगे होते हैं तो सुरक्षा की ज्यादा जिम्मेदारी अपने आप प्रशासन की हो जाती है। यह सच है कि गीता प्रेस के टेंट में आग लगने का कारण गैस लीक होना है किन्तु यह बात अटपटी लगती है कि देखते ही देखते आग दूसरे टेंटों को खाक कर देती है अग्निशामक दल को भनक तक नहीं लगी और जब भनक लगी तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी। एनडीआरएफ और प्रदेश का अग्निशामक दल भी सक्रियता दिखाने लगा। रविवार को मुख्यमंत्री खुद ही संगम क्षेत्र में मौजूद थे। यह तो अच्छा हुआ कि आग दिन में ही लगी जब लोग जाग रहे थे, यदि यही आग रात में लगती तो कितना बड़ा अनर्थ हो जाता!
बहरहाल मेला प्रशासन पर उन लाखों लोगों की सुरक्षा का दायित्व है जो वहां रात में रहते हैं और दिन में भी स्थायी रूप से निवास करते हैं। गलती किसी की भी हो किन्तु मेला क्षेत्र में आने वाले हर श्रद्धालु के जानमाल की सुरक्षा का दायित्व स्थानीय प्रशासन का ही होता है।
कहने का सार यह है कि चाहे जितना अच्छा इंतजाम किया जाए किन्तु यदि सुरक्षा व्यवस्था में कोईं कमी रह गईं तो उसके लिए जिम्मेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।