Jai Gopal Singh: सूरापुर के स्वतंत्रता सेनानी की स्मृतियां हो रहीं अस्तित्वहीन
Jai Gopal Singh: सूरापुर के स्वतंत्रता सेनानी की स्मृतियां हो रहीं अस्तित्वहीन

Jai Gopal Singh: सूरापुर के स्वतंत्रता सेनानी की स्मृतियां हो रहीं अस्तित्वहीन

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Jai Gopal Singh: जौनपुर जिले का सूरापुर कस्बा… यहां पर न केवल प्राकृतिक वातावरण मौजूद है बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के समय की यादें भी यहां की फिजाओं में गूंज रहीं हैं मगर अफासोस है कि हमारे जनप्रतिनिधियों की अनदेखी या फिर कमजोर नेतृत्व इस शोंधी महक को पहचान नहीं सका है।

स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई की शुरुआत में ही यहां से बाबू Jai Gopal Singh की दहाड़ ने अंग्रेजों के कलेजे को दहशत से भर दिया था… 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी के अंग्रेजों भारत छोड़ो नारे ने बाबू जयगोपाल सिंह के रगों में आजादी की मंशा पैदा कर दी।

सूरापुर के स्वतंत्रता सेनानी Jai Gopal Singh पूर्व सीएम के थे करीबी

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू Jai Gopal Singh जी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पं. श्रीपति मिश्र के बेहद करीबी माने जाते थे। उनके पुत्र प्रमोद मिश्रा उर्फ मुन्ना भैया बताते हैं कि बाबू जय गोपाल सिंह सदैव दूसरों का सम्मान करने की बता करते थे। 1957 के चुनाव के समय से ही उनसे व पिता श्रीपति मिश्र जी से घनिष्ठता थाी। समाज का हर तबका उनका आदर करता था।

राजनीति का मकड़जाल और जातिवाद के दंश ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में ख्यातिलब्ध बाबू Jai Gopal Singh जी का अस्तित्व मिटने के कगार पर है… आजादी की लड़ाई के दौरान जब पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सूरापुर से गुजरे तो वो जय गोपाल सिंह के यहां रुके थे। यह स्थान अब धाराशाई हो चुका है, जीर्ण-शाीर्ण हो चुका है।

लोगों के अनुसार 1942 में गांधी जी के आंदोलन ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ के दौरान बेलवाई, आजमगढ़ के पास रेलवे पटरी तोड़ने के आरोप में गंगा बक्ख सिंह, अंबिका सिंह, राजदेव सिंह जी यहीं पर शरण लिए, दर्जनों थानों की पुलिस ने यहां छापा मारा लेकिन उन्हें पकड़ नहीं पाई थी और वर्तमान समय में हमारी सरकार व राजनेता इस ऐतिहासिक शरणस्थली की महत्ता को ही नहीं पकड़ पा रहे हैं।

सूरापुर स्थित क्रान्तिकारियों का अघोषित कार्यालय माना जाने वाला यह स्थान अब उपेक्षित है और राजनीति के कुचक्रों का शिकार है। कहते हैं कि इतिहास से सीख न लेने वालों का हस्त्र भी बड़ा डरावना होता है।

बहरहाल हमारा प्रयास यह है कि आम जनता के पास संदेश पहुंचे कि हमें आजादी की हवा जिंदगी देने की बुनियाद रखने वालों के साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है? यदि आप जौनपुर या फिर सुल्तानुपर जनपद के रहने वाले हैं तो इस आर्टिकल को इतना शेयर करें कि वर्तमान सरकार तक हमारा संदेश अवश्य पहुंचे….

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पत्रकारिता में बेदाग 11 वर्षों का सफर करने वाले युवा पत्रकार त्रिनाथ मिश्र ई-रेडियो इंडिया के एडिटर हैं। उन्होंने समाज व शासन-प्रशासन के बीच मधुर संबंध स्थापित करने व मजबूती के साथ आवाज बुलंद करने के लिये ई-रेडियो इंडिया का गठन किया है।

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