- आदर्श चौबे, न्यूज वालंटियर-सुल्तानपुर
Jaunpur News: घोटाला कभी भी और कहीं भी हो सकता है… ऐसे में सचेत रहने के साथ-साथ हमें सावधान रहने की भी जरूरत है। हाल ही में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में बड़ा घोटाला सामने आया है जो उच्च अधिकारियों के लिये सिरदर्द बन गया है।
दरअसल वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में परीक्षकों के पारिश्रमिक भुगतान में हुए भ्रष्टाचार के चलते वित्त अधिकारी संजय कुमार राय को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। उनकी जगह अब राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद के वित्त अधिकारी पूर्णेंदु शुक्ला को विश्वविद्यालय के वित्तीय कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, संजय कुमार राय को उत्तर प्रदेश कोषागार, लखनऊ से अटैच किया गया है।
कैसे सामने आया घोटाला?
वर्ष 2023 के जुलाई माह में तत्कालीन कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने वित्तीय अनियमितताओं को गंभीरता से लेते हुए एक कर्मचारी को बर्खास्त और एक अन्य को निलंबित किया। इसके बाद सुगबुगाहट शुरू हो गई थी लेकिन उच्च पदों पर बैठे अधिकारी खुद को बचाने में सफल रहे।
इसके बाद इस अनियमितता की जांच के लिये कुलपति ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया, जिसमें प्रो. अजय प्रताप सिंह (मनोविज्ञान विभाग), सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रेमचंद त्रिपाठी, चार्टर्ड अकाउंटेंट अमित गुप्ता को शामिल किया गया था।
प्रो. अजय प्रताप सिंह की रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हुई, लेकिन न्यायाधीश और चार्टर्ड अकाउंटेंट की रिपोर्ट में स्पष्ट विरोधाभास पाया गया।
फर्जी खातों में ट्रांसफर किए गए लाखों रुपये
जांच में खुलासा हुआ कि वित्त विभाग ने परीक्षकों के पारिश्रमिक भुगतान के नाम पर फर्जी खातों और परिचितों के बैंक खातों में लाखों रुपये ट्रांसफर किए। जब यह घोटाला उजागर होने लगा, तो संजय कुमार राय ने कुछ धनराशि वापस मंगवाने और नकद जमा करने की कोशिश की, लेकिन मामला और गंभीर हो गया।
प्रारंभिक जांच में इस घोटाले की राशि लगभग 14 लाख रुपये आंकी गई थी, लेकिन सूत्रों के अनुसार, वास्तविक हेराफेरी की रकम इससे कई गुना अधिक हो सकती है। इस घोटाले में वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। जांच के बाद कई उच्च पदस्थ अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है। इस घोटाले ने विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुंचाया है और प्रशासन के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब वाराणसी मंडलायुक्त करेंगे जांच
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच वाराणसी मंडलायुक्त को सौंपी गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने संकेत दिया है कि आगे की जांच में दोषियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।