आज के समय की तथाकथित भौतिकवादी सोच एवं पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव, स्वार्थ एवं संकीर्णताभरे वातावरण से होली की परंपरा में बदलाव आया है। परिस्थितियों के थपेड़ों ने होली की खुशी और मस्ती को प्रभावित भी किया है, लेकिन आज भी बृजभूमि ने होली की प्राचीन परंपराओं को संजोए रखा है।
यह परंपरा इतनी जीवंत है कि इसके आकर्षण में देश–विदेश के लाखों पर्यटक ब्रज–वृंदावन की दिव्य होली के दर्शन करने और उसके रंगों में भीगने का आनंद लेने प्रतिवर्ष यहां आते हैं। होली नई फसलों का त्योहार है, प्रकृति के रंगों में सराबोर होने का त्योहार है।
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