बरेली। ज्येष्ठ माह तप ,व्रत और साधना का प्रतीक है जिस तरह सोना भट्टी में पककर और निखरता है उसी तरह इस मास में सूर्य की तपती हुई गर्मी में साधक लोग कठोर साधना करके अपने तप को और अधिक निखारते हैं और साधना के श्रेष्ठ और उच्च शिखर पर पहुंचते हैं।सभी महीनो में ज्येष्ठ का महीना सबसे बड़ा होता है। इसलिए इसका महत्व भी ज्यादा है।
इस महीने में गर्मी और सूर्य की तपिश चरम पर पर रहती है। इसीलिए सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस महीने को ज्येष्ठ कहा जाता है। इस महीने में दिन बड़े होते हैं।और रात्रि सबसे छोटी। इस माह में नौतपा भी लगता है। शास्त्रों में इसी माह में जल के संरक्षण का महत्व बताया गया है। इसलिए निर्जला एकादशी भी इसी महीने आती है। ज्येष्ठ मास में जल के दान को बहुत बड़ा पुण्य माना गया है। धर्मशास्त्रो के अनुसार इस महीने में जल देवता से प्रार्थना और उनकी पूजा से जीवन में शांति प्राप्त होती है।
तप और साधना निखारने का माध्यम ज्येष्ठ माह
ज्येष्ठ के महीने में भगवान श्रीराम से हनुमान की मुलाकात हुई थी, जिसके चलते ये इस माह के मंगलवार पर हनुमान पूजा का खासा महत्व रहता है। इस महीने में भगवान विष्णु और उनके चरणों से निकली हुई गंगा और साथ ही हनुमान जी की पूजा का भी विशेष महत्व है। गंगा पूजन के लिए गंगा दशहरा भी इसी महीने पड़ता है।
इसलिए इस महीने इस स्नान- दान, पूजन-अर्चन से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोवांछित अभिलाषाओं की शीघ्र पूर्ति होती है। इस महीने जल संरक्षण करने से और जल देवता के पूजन करने से चंद्र देवता और आदिशक्ति की भी कृपा प्राप्त होती है। पंचांगो के अनुसार, ज्येष्ठ वर्ष का तीसरा माह है। इस बार इस ज्येष्ठ का महीना 24 मई से शुरू होकर 22 जून तक रहेगा। इस माह में सूर्यदेव की ऊष्मा काफी प्रचंड होती है।
जलस्रोत सूखने लगते हैं और सृष्टि में पानी की कमी होने लगती है। इससे बचाव के लिए पूर्वजों ने इस माह जल संरक्षण का संदेश दिया। आशय था कि इस माध्यम से जल का कुछ संरक्षण तो हो सके। पारायण के दिन जल से भरा पात्र दान करने का इस महीने विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि इस माह आने वाले व्रत रखने से व्यक्ति सभी देवताओं की कृपा बरसती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ के महीने में जल का दान करना सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। क्योंकि जेठ के महीने में भीषण गर्मी पड़ती है और ऐसे में यदि किसी को जल पिलाया जाए तो इससे बड़ा कोई पुण्य नहीं होता। इसके अलावा ज्येष्ठ माह में पशु-पक्षियों के लिए भी पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही जरूरतमंदों को छाता, जूते-चप्पल, सत्तू और सूती वस्त्र अवश्य दान करने चाहिए। इस माह आने वाले सभी मंगलवार के दिन गुड़ या गुड़ से बनी चीजें दान करनी चाहिए।
Press Club Meerut को लेकर लगभग 150 पत्रकारों ने हुंकार भरी। कार्यक्रम लगभग डेढ बजे…
एडिलेड। सऊदी अरब में अमेरिकी और रूसी अधिकारियों के बीच इस हफ्ते होने वाली महत्वपूर्ण…
नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि भारत के 5एफ विजन – फार्म (खेत) से…
नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘विकसित…
नई दिल्ली। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बड़ा हादसा हो गया है। यहां महाकुंभ की…
KMC Cancer Hospital में अन्तर्राष्ट्रीय ओएमएफ डे के अवसर पर कैंसर गोष्ठी का आयोजन किया…
This website uses cookies.