संभल हिंसा मामले में सियासत घातक

संभल हिंसा मामले में सियासत घातक संभल हिंसा मामले में सियासत घातक

संभल हिंसा मामले में जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश पुलिस और न्यायिक आयोग की जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस बीच मंगलवार को हिंसा करने वाले दंगाइयों का पाकिस्तानी कनेक्शन सामने आया है। मौके पर मिले सबूत चीख-चीखकर गवाही दे रहे हैं कि वैसे मेड इन पाकिस्तान की वस्तुएं मस्जिद के पास नालियों में बरामद हुईं हैं।

संभल पुलिस टीम को मस्जिद के पास नालियों में पाकिस्तान की आर्डिनेंस फैक्ट्री में बने 9 एमएम के खोखे मिले। यह कोईं सामान्य बात नहीं है। ऐसा नहीं है कि जो लोग संभल के दंगाइयों के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस और सरकार को गालियां दे रहे हैं उन्हें वास्तविकता की जानकारी नहीं है। वे भी जानते हैं कि संभल में उपद्रवियों ने क्या किया! यदि मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश किसी कोर्ट ने दिया तो कानूनी लड़ाईं से ही राहत हासिल की जा सकती है।

हिंसा करके तो बिल्कुल नहीं। जो लोग संभल के दंगाइयों के प्रति सहानुभूति दिखा रहे हैं, वे शांति प्रिय मुस्लिम समाज के हितैषी कदापि नहीं हो सकते। सियासत के लिए गलत को सही और सही को गलत साबित करने वाले कभी किसी भी समाज का भला नहीं कर सकते।

यही कारण है कि जहां एक तरफ संभल को लेकर समाजवादी और दूसरी सेक्युलर पार्टियां संसद के दोनों सदनों में उत्तर प्रदेश शासन, पुलिस और भारतीय जनता पाटा के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन कर रहे हैं, वहीं वाराणसी स्थित उदय प्रताप सिंह यानि यूपी सिंह कालेज में नमाज और हनुमान चालीसा का विवाद इतना बढ़ गया है कि जिला प्रशासन और प्रदेश के शासन की नींद हराम हो गईं हैं।

दरअसल सोमवार को एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें वक्फ बोर्ड ने इस कालेज के परिसर को अपनी जमीन होने का दावा कर दिया है। इसका परिणाम यह हुआ कि मंगलवार को यूपी कालेज के छात्रों ने परिसर को घेरकर वहां पर हनुमान चालीसा पाठ किया और वहीं परिसर में स्थित मस्जिद में जो भी मुस्लिम नमाज के लिए जा रहे थे उन्हें पुलिस कमिश्नर के मार्गदर्शन में पुलिस वापस भेज रही थी।

मतलब यह कि यूपी सिंह कालेज में वर्षो से बिना शोर शराबे के पढ़ी जा रही नमाज का सिलसिला खत्म हो जाए। कहने का मतलब यह कि यूपी सिंह कालेज के परिसर में आम मुस्लिम जाकर नमाज पढ़ लिया करता था, उसे छात्र रोकते ही नहीं थे। किन्तु जबसे वक्फ बोर्ड ने कालेज परिसर पर दावा किया तभी से तनाव बढ़ा और यूपी सरकार ने कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कालेज परिसर की मस्जिद में प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया।

असल में यदि कुछ हिन्दू मस्जिदों और मजारों में मंदिर खोजते हैं तो वक्फ बोर्ड सैंकड़ों वर्षो से बने कालेज, रेलवे प्लेटफार्म और हवाईं अड्डों को वक्फ की संपत्ति बता कर माहौल को नफरती प्रदूषण से स्थिति खराब करने पर तुले हैं। संसद में संभल की घटना को लेकर रोज धमाचौकड़ी मची है और हद तो तब हो गईं जब एक पार्टी ने उपद्रव के दौरान मारे गए लोगों को 5 लाख की राहत राशि की घोषणा कर दी।

दुर्घटनाओं में मारे गए परिवारों को सरकारें तो राहत राशि की घोषणा करते सुनी गई हैं किन्तु हिंसा में शामिल हुए लोगों को इस तरह की राहत बांटते पहली बार उत्तर प्रदेश में शासन कर चुकी समाजवादी पार्टी को करते देखा। अखिलेश यादव की पार्टी की प्रवृत्ति साधुओं संतों को कानून व्यवस्था की सुरक्षा के लिए गोली सिर और सीने पर मारने की है किन्तु वह संभल मामले में भाजपा को एक धर्म के विरुद्ध और खुद को रक्षक साबित करने की राजनीति पर तुली है।

इन सेक्युलर पंथियों को यह मान लेना होगा कि वे जितना ही एकतरफा सहानुभूति या आक्रोश व्यक्त करेंगे, उतना ही माहौल खराब होगा। इसलिए जरूरत है दोनों की सांप्रदायिकता की समान रूप से निन्दा और सहानुभूति व्यक्त की जाए। जब तक समभाव से दोनों तरफ के अतिवादियों की आलोचना नहीं होगी तब तक धर्मनिरपेक्षता का चोगा पहन कर कोई एक धर्म के उपद्रवियों को निष्क्रिय नहीं कर सकते। इसलिए सामाजिक समरसता के लिए अपनी दृष्टि में भी समानता लानी जरूरी है अन्यथा एक का समर्थक स्वत: दूसरे के लिए अविश्वसनीय बन जाएगा।