मोदी की 400 पार की घोषणा पर सियासी क्षेत्रों में कुछ शंका और मतभेद हो सकता है, मगर इस बात पर सभी राजनीतिक समीक्षक और सर्वे एजेंसियां एक मत है कि अगली सरकार एक बार फिर मोदी ही बनाएंगे और भाजपा का हैट्रिक का सपना पूरा होगा। लोकसभा चुनाव से पूर्व अनेक खबरिया चैनलों के ओपिनियन पोल को देखें तो सभी ने अगले लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत की भविष्यवाणी कर दी है। खास बात यह भी है कि किसी भी सर्वे में इंडिया गठबंधन को सरकार बनाते नहीं देखा गया है। सर्वे में यह जरूर रेखांकित किया गया है कि उत्तर भारत में भाजपा बहुत आगे है वहीँ दक्षिण में पीछे है। उधर आंध्र, उड़ीसा और कर्नाटक में एनडीए को काफी मजबूत बताया जा रहा है।
देश में आम चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श अचार संहिता लागू हो गई है।
इसके साथ ही सभी प्रकार के ओपिनियन पोल और सर्वे आदि पर रोक लग गई है। लोकसभा चुनाव 2024 जैसे जैसे ऩजदीक आ रहे है वैसे वैसे सियासी दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। इस दौरान चुनावी सर्वेक्षणों की बहार भी देखने को मिली है। निर्वाचकों और मतदाताओं से बातचीत कर विभिन्न सियासी पार्टियों, उम्मीदवारों की जीत हार के पूर्वानुमानों के आकलन की प्रक्रिया चुनावी सर्वे कहलाती है। मुख्य रूप से ओपिनियन पोल सर्वे चलन में है। इसमें प्रश्नावली तैयार कर सर्वे टीम घर-घर जाती है। बाद में वोटर्स के उत्तर के आधार पर परिणाम निकाला जाता है।
एक बड़े न्यूज चैनल के हालिया सर्वे के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भी देश और दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं। मोदी के आस पास भी कोई नेता नहीं फटक रहा है। देश के एक बड़े खबरिया चैनल ने एक नामी गिरामी एजेंसी के जरिये आगामी लोकसभा चुनाव के लिए ओपिनियन पोल कराया। इस सर्वे व्रे के मुताबिक, एक बार फिर देश में भाजपा सरकार बनने का अनुमान है।
इसी भांति एक अन्य मेगा ओपिनियन पोल के मुताबिक एनडीए सरकार बनने की प्रबल सम्भावना है। ओपिनियन पोल में एनडीए की बड़ी जीत की भविष्यवाणी की गईं है। इससे पूर्व पिछले माह हुए एक अन्य सर्वे में बताया गया था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन 335 सीटों के साथ सत्ता में लौटने जा रहा है। इस स पर कांग्रेस सहित इंडी गठबंधन के नेता आग बबूला हो रहे है।
आजकल सर्वे की बहुत ज्यादा चर्चा हो रही है। जिसे चाहे वह सर्वे करवा रहा है। आखिर यह सर्वे है क्या, इसकी जानकारी जनसाधारण को होनी बहुत जरुरी है। सीधे शब्दों में बात करें तो किसी भी महत्वपूर्ण जानकारी या किसी भी विषय पर लोगों की मन की बात जानने के लिए लोगों के बीच में सर्वे किया जाता है, जिससे कि वहां के समाज के लोगों की क्या स्थिति है, और वहां पर क्या चल रहा है उन सभी का हमें पता चल जाता है।
कुल मिलकर लोगों के मन की बात सर्वेक्षण के दौरान जानने की चेष्टा की जाती है। सर्वे शत प्रतिशत सही हो इसका दावा नहीं किया जा सकता। फिर भी सव्रे के महत्त्व से नकारा नहीं जा सकता। सव्रेक्षण एक शोध पद्धति है, जिसका उपयोग रुचि के विभिन्न विषयों में जानकारी और अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए उत्तरदाताओं के पूर्वनिर्धारित समूह से डेटा एकत्र करने के लिए किया जाता है। उनके कई उद्देश्य हो सकते हैं, और शोधकर्ता इसे चुनी गई कार्यंप्रणाली और अध्ययन के लक्ष्य के आधार पर कई तरीकों से संचालित कर सकते हैं।
हमारे लिए सही सर्वेक्षण उपकरण का उपयोग करके लक्षित आबादी के लिए सामाजिक अनुसंधान के फायदों को समझना आवश्यक है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आजकल चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने लगे है। चुनावी सर्वे करने वाली विभिन्न संस्थाओं से मिलकर किये जाने वाले सर्वेक्षणों में मतदाताओं का मूड जानने का प्रयास कर सटीक आकलन किया जाता है। कईं बार ये सर्वे हकीकत के नजदीक होते है तो कई बार फेल भी हो जाते हैं। इसी के साथ खबरिया चैनलों और सर्वे एजेंसियों की साख दांव पर लग जाती है।