कांग्रेस ने एक बार फिर बैलेट पेपर या मतपत्रों की वापसी की मांग उठाईं है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को तालकटोरा स्टेडियम में बैलेट पेपर से चुनाव के लिए भारत जोड़ो यात्रा की तरह देशव्यापी अभियान चलाने का ऐलान किया। संविधान रक्षक अभियान के दौरान खरगे ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जाति गणना से डरते हैं। उन्हें डर है कि सभी वर्ग अलग हिस्सा मांगेंगे।
खरगे ने कहा कि, महाराष्ट्र चुनाव ने दिखा दिया है कि एससी/एसटी/ओबीसी, गरीब तबके के लोग अपनी पूरी शक्ति लगाकर वोट देते हैं लेकिन उनका वोट फिजूल जा रहा है। ईंवीएम मशीनों को लेकर खरगे ने कटाक्ष किया कि मोदी जी के घर या अमित शाह के घर में मशीन रखने दो, अहमदाबाद के किसी गोदाम में रखने दो, हमें ईंवीएम नहीं चाहिए हमें मतपत्र चाहिए। उनका प्रस्ताव था कि जैसे राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत यात्रा निकाली वैसे ही मतपत्र चाहिए कि मुहिम शुरू की जाए।
पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में ईंवीएम को लेकर ढेर सारी शिकायते आईं हैं। उम्मीदवार सुबूत इकट्ठा करके चुनाव आयोग और अदालतों के दरवाजे खटखटा रहे हैं। जहां तक अदालतों का सवाल है तो कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने मतपत्रों का इस्तेमाल करने संबंधी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव जीत जाएं तो ईवीएम सही हार जाएं तो छेड़छाड़ की गईं है।
न्यायामूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह टिप्पणी की थी। याचिका में मतपत्र से मतदान कराए जाने के अलावा कईं अन्य दिशा-निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया गया था। जब याचिकाकर्ता केए पाल ने कहा कि जनहित याचिका उन्होंने दायर की है तो पीठ ने कहा, आपके पास दिलचस्प जनहित याचिकाएं हैं।
आपको ये शानदार विचार आते कहां से हैं! याचिकाकर्ता पाल ने कहा कि वे एक ऐसे संगठन के अध्यक्ष हैं जिसने तीन लाख से अधिक अनाथों और 40 लाख विधवाओं को बचाया है। पीठ ने इनके जवाब में कहा, आप इस राजनीतिक क्षेत्र में क्यों उतरे हैं? आपका कर्म क्षेत्र बहुत अलग है।
पाल ने जब बताया कि वह 150 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके हैं तो पीठ ने उनसे पूछा कि क्या इन देशों में मतपत्रों के जरिए मतदान होता है या वहां ईंवीएम का इस्तेमाल होता है। इस पर श्री पाल ने कहा कि अन्य देशों ने मतपत्रों के जरिए मतदान की प्रक्रिया अपनाईं है जिसमें अमेरिका, कईं यूरोप जैसे विकसित देश शामिल हैं।
भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार हुआ है, इस साल (2024) जून में निर्वाचन आयोग ने 9000 करोड़ रुपए जप्त किए हैं। पीठ ने कहा, लेकिन इससे आपकी बात कौन सी प्रासंगिक हो जाती है।
यदि आप मतपत्र की ओर लौटते हैं तो क्या भ्रष्टाचार नहीं होगा, चंद्रबाबू नायडू व जगन रेड्डी का जिक्र किए जाने पर पीठ ने कहा, जब चंद्रबाबू नायडू हारे थे तो उन्होंने कहा था कि ईंवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है। अब इस बार जगन मोहन रेड्डी हारे हैं तो वह कह रहे हैं कि ईंवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है।
सवाल न तो ईंवीएम का है न राजनीतिक दलों का, असल सवाल तो लोकतंत्र का है। असल सवाल मतदाता को पता होना चाहिए कि उसने जिसको वोट दिया है क्या उसी को गया है। देश की जनता का भरोसा सबसे महत्वपूर्ण है।