नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में 81 दिन से आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने रविवार को पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजि दी। इसके साथ ही किसानों ने कहा है कि वे 18 फरवरी को देश भर में रेल रोको आंदोलन को सफल बनाने की तैयारियों में जुटे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा इस बारे में अंतिम फैसला करेगा। उससे पहले रविवार को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक कानून वापस लेने की किसानों की मांग नहीं मानी जाती है, तब तक आंदोलन तेज होता रहेगा।
राकेश टिकैत ने एक बार फिर कहा कि केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों का विरोध तब तक तेज होता रहेगा जब तक कि किसानों की मांगें नहीं मानी जातीं। उन्होंने कहा- गर्मियों में धरना स्थलों पर टिकने के लिए किसानों को एसी और कूलर की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में सरकार को बिजली कनेक्शन देने चाहिए नहीं तो हमें जेनरेटर लगाने पड़ेंगे। जिस तरह लोग हमें पानी उपलब्ध करवा रहे हैं, उसी तरह जेनरेटर के लिए डीजल भी मुहैया करवा देंगे।
किसान संगठन आगे की रणनीति बनाने के साथ साथ इस बात पर खास ध्यान दे रहे हैं कि आंदोलन में कहीं भी हिंसा या अशांति न हो। गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान पुलिस और किसानों के साथ हुई झड़प के बाद किसान संगठन अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्च ने इसके लिए धरने की जगह पर वालंटियर तैनात किए हैं। हर जगह वालंटियर लाठी और वॉकी टॉकी के साथ तैनात रहते हैं। वे पूरे दिन ट्रैफिक व्यवस्था भी संभालते हैं। इसके साथ ही बार-बार इंटरनेट बंद किए जाने को देखते हुए संचार व्यवस्था के लिए कम्युनिकेशन सिस्टम दुरुस्त किया गया है।
गौरतलब है कि किसान संगठनों ने 18 फरवरी को चार घंटे तक रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया है। रविवार को इसे लेकर रणनीति बनाई गई। आंदोलन कर रहे किसानों का मानना है कि सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए आंदोलन और तेज करने की रणनीति बनानी होगी। संयुक्त किसान मोर्चा की जल्दी ही होने वाली बैठक में यह तय होना है कि किसान आंदोलन को किस तरीके से आगे बढ़ाना है।
दूसरी ओर किसानों के रेल रोको आंदोलन को देखते हुए सरकार ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। बताया जा रहा है कि कई जगह खास कर हरियाणा और पंजाब में रेलवे प्रशासन ने स्टेशनों की और रेल लाइनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त तैयारी की है। खबर है कि अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है और रिजर्व बटालियन भी बुलाई गई हैं।
किसानों की मौत का मजाक
केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में देश के कई राज्यों के किसान संगठन पिछले 81 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान करीब दो सौ किसानों की अलग अलग कारणों से मौत हुई है। रविवार को हरियाणा के कृषि मंत्री ने किसानों की मौत का मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि किसान अपने घर पर भी होते तो और उनकी मौत होनी होती तो हो ही जाती।
रविवार को हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल विवादित बयान का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने कहा- अगर किसान घर पर होते तो उनकी मौत नहीं होतीं? क्या छङ महीने में दो सौ लोग भी नहीं मरेंगे? किसानों की मौतें उनकी इच्छा से हुई है। इसके बाद उनके हंसने का वीडियो है। हालांकि बाद में दलाल ने सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।