श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को मंगलवार दिन व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र व शिव योग मिल रहा है, जो अत्यन्त ही शुभ है। नाग पंचमी को भगवान शिव व नागदेव की पूजा से विशेष रूप से सिद्धि प्राप्ति होती है। इस दिन नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। महर्षि पारासर ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पांडेय ने बताया कि समस्त नाग जाति के प्रति श्रद्धा व सम्मान पूर्वक गोदूग्ध धान का लावा, सफेद पुष्प, धूप आदि से पूजन करना चाहिए।
पूजन के बाद नाग देवता की प्रसन्नता के लिए निम्न मन्त्र का जप करें… ॐ नवकुल नागाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि, तन्नो सर्प: प्रचोदयात। नाग पंचमी के दिन जिस जातक के जन्म कुण्डली में कालसर्प दोष, सर्प श्राप के द्वारा कष्ट प्राप्त हो रहा हो। उन्हें चाहिए की भगवान शिव की पूजा के साथ- साथ सर्प देवता की पूजा उपरोक्त मन्त्र के द्वारा करें, जिससे उसे कालसर्प दोष व सर्प श्राप से मुक्ति मिल सकती है।
पृथ्वी पर नागों की उत्पत्ति कैसे हुई। इसका वर्णन हमारे ग्रन्थों में किया गया है। इनमें वासुकि, शेषनाग, तक्षक और कालिया जैसे नाग है। नागों का जन्म ऋषि कश्यप की दो पत्नियों कद्रु और विनता से हुआ था। स्कन्द पुराण के अनुसार इस दिन नागों की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
उन्होंने बताया कि नागपंचमी के दिन अपने दरवाजे के दोनों ओर गोबर से सर्पों की आकृति बनानी चाहिए और धूप, पुष्प आदि से इसकी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद इन्द्राणी देवी की पूजा करनी चाहिए। दही, दूध, अक्षत, जल, पुष्प, नेवैद्य आदि से उनकी आराधना करनी चाहिए। ऐसा करने से पूरे वर्ष आपके परिवार में सर्प देवता व भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। नागपंचमी की तैयारियों लोगों के घरों में शुरू हो गई है। महिलाएं घरों की साफ सफाई करने में जुटी हुई है।