भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन करके यूपी में दो लोकसभा सीटें जीतने के बाद से केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी की सियासी चाहत सातवें आसमान पर नजर आ रहे है। उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल भाजपा के कहने पर हरियाणा विधानसभा चुनाव में तो नहीं उतरी है, लेकिन जम्मू और कश्मीर में जरूर भाग्य आजमा रही है। चौधरी आगे झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर भी संभावनाएं तलाश रहे हैं।
राष्ट्रीय लोक दल जम्मू और कश्मीर की 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हालांकि, यहां उसका भाजपा के साथ कोई गठबंधन नहीं हुआ है और अकेले चुनाव मैदान में है, लेकिन अब यह पार्टी झारखंड विधानसभा चुनाव भी लड़ने की योजना बना रही है, जिसके नवंबर में होने की संभावना है।
झारखंड में चुनाव लड़ने की संभावनाओं को लेकर पार्टी सुप्रीमो जयंत चौधरी मंगलवार को रांची गए, जहां वे पार्टी की चुनावी संभावनाओं को तलाशने के साथ-साथ भाजपा से गठबंधन में चुनाव लड़ने को लेकर भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करने वाले थे।
इससे पहले रालोद के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा की अगुवाई में पार्टी के एक शिष्टमंडल की भाजपा के उपाध्यक्ष और झारखंड में पार्टी के प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी के साथ भी चुनाव-पूर्व गठबंधन को लेकर बातचीत हो चुकी है। रालोद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक, ‘चीजें सही दिशा में बढ़ रही हैं और हम सकारात्मक नतीजों की उम्मीद कर रहे हैं।’
दरअसल, पार्टी उत्तर प्रदेश से आगे निकलकर अन्य प्रदेशों में भी अपना विस्तार करना चाह रही है। जब पार्टी इंडिया ब्लॉक के साथ जुड़ी हुई थी तो राजस्थान की भरतपुर सीट पर उसके प्रत्याशी सुभाष गर्ग को जीत भी मिली। लेकिन, लोकसभा चुनावों से ठीक पहले जयंत चौधरी ने एनडीए का साथ अपना लिया था।
रालोद हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता था, लेकिन भाजपा के दबाव में वह वहां चुनाव नहीं लड़ सका। पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी में रालोद ने एनडीए गठबंधन में रहकर बागपत और बिजनौर की सीटें जीती हैं।
इससे पहले भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों और 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी का सूपड़ा साफ कर दिया था। हालांकि, 2022 में इसे सपा के साथ गठबंधन में जबर्दस्त फायदा मिला और यह 9 सीटें जीत गई।
लेकिन, लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार ने जयंत चौधरी के दादा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की, जिसके बाद वे पाला बदलकर एनडीए के खेमे में चले आए।
जहां तक जम्मू कश्मीर की बात है तो रालोद नेताओँ का कहना है कि उनकी पार्टी पहले भी एक सीट पर यहां चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन तब उसने अपने चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल नहीं किया था। पार्टी नेता के मुताबिक, ‘यह पहली बार है कि राष्ट्रीय लोकदल अपने आधिकारिक चुनाव निशान (हैंडपंप) पर चुनाव लड़ रहा है। इससे पार्टी को प्रदेश में विस्तार में मदद मिलेगी।’