- प्रिंस तिवाड़ी, संयोजक-School Of Ram, Mob: 9783300907
School of Ram: एक और जहां श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का कार्य बड़े जोर-शोर पर है।वहीं राम के प्रति लोगों का उत्साह और अधिक देखने को मिल रहा है ।यूंतो राम भारत की प्रभात के प्रथम स्वर और यहाँ की पहली अनुगूंज हैं।किंतु फिर भी समय के साथ भारत की नई युवा पीढ़ी को राम के आदर्शों से प्रेरित करने और रामायण के संस्कारों को उन तक पहूंचाने की एक अभिनव पहल अभी हालहीं में वर्चुअली प्रारंभ हुई है।
School of Ram: एक ऐसा वर्चुअल विद्यालय जो भगवान राम के युगों पुरानें आदर्शों और रामायण के संस्कारों को नए तरिकों से जन-जन तक लेकर जाने का कर रहा है प्रयास।
24 मार्च को अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार जी शुक्ला ने किया था इसका लोकार्पण।विद्या भारती के राष्ट्रीय मंत्री श्री अवनीश भटनागर जी भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
1 अप्रैल को प्रारंभ हुई थी प्रवेश प्रक्रिया । जिसमें देशभर के विभिन्न राज्यों में स्थित विद्यालयों,विश्वविद्यालयों,महाविद्यालयों के भैया-बहिनों ने लिया है हिस्सा।
रामनवमी, 21 अप्रैल 2021 से होगा कक्षाओं का विधिवत शुभारंभ।
विद्या भारती के पूर्व छात्र एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्यनरत छात्र प्रिंस तिवाड़ी ने भगवान श्री राम के जीवन आदर्शों और रामायण के संस्कारों को जन-जन तक अभिनव तरिकों से लेकर जाने के लिए राम के जीवन पर एक वर्चुअल विद्यालय का प्रारूप तैयार किया है। जिसे उन्होंने “स्कूल ऑफ राम” (School of Ram) नाम दिया है।
संभवतः यह दुनिया का पहला ऐसा वर्चुअल स्कूल है जो भगवान राम (School of Ram) के जीवन पर तैयार किया गया है । जिसमें बाकायदा कक्षाओं का आयोजन किया जाएगा,परीक्षाएं भी होंगी,पाठ्यक्रम और पुस्तकें भी होंगी इसका एक प्रयोगिक पक्ष भी होगा और उन्हें उतीर्ण करने वाले भैया-बहिनों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जाएंगे।सुनने में बड़ा अजीब लगता है कि राम के जीवन पर वर्चुअल विद्यालय कैसे चलेगा, उसका जवाब देते हुए स्कूल ऑफ राम के संयोजक प्रिंस तिवाड़ी ने बताया कि हमनें प्रभु श्री राम के जीवन के इर्द-गिर्द एक पाठ्यक्रम तैयार किया है, उसकी एक पुस्तक होगी जिसमें कुल बारह अध्याय हैं।
इन बारहों अध्यायों को वर्चुअल कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाया जाएगा, इसमें प्रयोगिक पक्ष भी होगा, कक्षाओं के बाद स्कूल ऑफ राम (School of Ram) में पढ़ रहे विद्यार्थियों को असाइनमेंट वर्क भी दिए जाएंगे और फिर उनका मुल्यांकन भी होगा और इसी आधार पर सत्र के अंत में एक संयुक्त परीक्षा के बाद उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान दिए जाएंगे।ताकि हमने जो पढ़ाया,सिखाया, उसका भी एक मुल्यांकन हो सके कि उन्होंने कितना कुछ सीखा है।
School of Ram के बारे में क्या बोले प्रिंस
प्रिंस ने बताया कि स्कूल ऑफ राम(School of Ram) में एक वर्ष को दो सत्रों में विभाजित किया गया है। छः महिने में एक सत्र के भीतर भैया-बहिन अपना अध्ययन करगें, उसके बाद नवीन सत्र हेतु प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।एक सत्र की अवधि छः माह की होगी, जिसमें प्रत्येक रविवार को एक घंटे की कक्षा का आयोजन किया जाएगा। समान्यतः जिन भैया-बहिनों के पास फोन,टैबलेट या लैपटॉप या अन्य संसाधन नहीं हैं वे अपने अभिभावकों के माध्यम से कक्षाओं का हिस्सा बन सकेंगे क्योंकि रविवार को अधिकांशतः सभी संस्थानों,सरकारी-गैरसरकारी कार्यालयों का अवकाश रहता है। तो अभिभावक अपने बच्चों को कक्षा में जुड़ने के लिए सहायता कर सकते हैं।
इसी प्रकार एक सत्र में न्युनतम चौबीस कक्षाओं का आयोजन किया जाएगा।और इसके बाद संयुक्त परीक्षा का आयोजन होगा और प्रथम सत्र के परिणाम की घोषणा के पश्चात द्वितीय सत्र हेतु नवीन प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।इसी प्रकार एक वर्ष में दो सत्रों के माध्यम से भैया-बहिन इस अनोखे वर्चुअल विद्यालय का हिस्सा बनकर भगवान राम के आदर्शों को अपने जीवन में उतार सकेंगे। और भगवान राम के जीवन,उनके कृतित्व और व्यक्तित्व को अधिक करीब से जान सकेंगे।
विभिन्न कक्षाओं और कार्यशालाओं के माध्यम से हम राम के जीवन में से आत्मविश्वास संबंधी कौशल,निर्णय लेने की क्षमता संबंधी कौशल,तनाव उन्मूलन कौशल,विपरीत परिस्थितियों में समायोजन का कौशल,स्वयं के प्रति जागरूकता का कौशल,गलत कार्य के प्रति नकारात्मक प्रवृत्ति का कौशल,सकारात्मक व्यवहार एवं समालोचनात्मक सोच का कौशल को युवा पीढ़ी तक लेकर जाएंगे।
प्रिंस का कहना है कि अभी स्कूल ऑफ राम (School of Ram) के पहले सत्र की पहली कक्षा रामनवमी के दिन आयोजित की जाएगी।इसके बाद भगवान राम पर दुनियां के इस पहले वर्चुअल स्कूल के जरिए श्री राम के कृतित्व और व्यक्तित्व पर फिर से मंथन शुरू होगा।विभिन्न व्याख्यानमालाओं,संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।हमारा प्रयास यही होगा की हम राम के आदर्शों और रामायण के संस्कारों को जन-जन तक अभिनव तरिकों से लेकर के जाएं।ताकी हमारे देश की युवा पीढ़ी राम के जीवन पथ पर चलकर उनके आदर्शों को अपनाकर जीवन में श्रेष्ठ सफलता पा सके।