सुप्रीम कोर्ट सोमवार को मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है। जिसमें कहा गया था कि केवल बाल पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना पॉक्सो अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत अपराध नहीं है। जिसके बाद मद्रास हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस फैसले पर सुनवाई करते हुए कहा कि, बाल पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना, फोन में रखना और देखना पॉक्सो और आईटी एक्ट के तहत अपराध है।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ ने आज इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि, चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े फोटो-वीडियो का स्टोर करना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने संसद को पॉक्सो अधिनियम में संशोधन के लिए कानून लाने का सुझाव दिया। जिसमें ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ शब्द को ‘चाइल्ड यौन शोषण और अपमानजनक सामग्री’ से बदल दिया जाए।
आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को बहाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज साफतौर पर कहा कि बाल पोर्नोग्राफी को शेयर, देखना, बनाना और डाउनलोड करना सभी दंडनीय अपराध हैं।