हवा खि़लाफ़ है लेकिन दिए जलाता हूँ हवा खि़लाफ़ है लेकिन दिए जलाता हूँ हज़ाऱ मुश्किलें हैं फिर भी मुस्कराता हूँ सलाम आँधियाँ करती हैं मेरे ज़ज़्बों को इक दिया बुझ गया तो दूसरा जलाता हूँ मेरी दीवानगी का हाल मुझसे मत पूछो बुझे न प्यास तो शोलों से लिपट जाता हूँ ज़माना लाख है […]