- यूपी चुनाव में बसपा का प्रदर्शन रहा फ्लॉप
- आखिर क्यों घट रहा बसपा का जनाधार?
- क्या मायावती कर रही हैं अपने हाथों अपना उद्धार?
उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर उपचुनाव के बाद सबसे बड़ा संकट बहुजन समाज पार्टी और उसकी नेता मायावती के लिए उभर कर आई है। मायावती आमतौर पर उपचुनाव नहीं लड़ती हैं। लेकिन लोकसभा में मिली करारी हार के बाद उन्होंने उपचुनाव लड़ने का फैसला किया।
उनकी पार्टी नौ में से कोई सीट नहीं जीत पाई वह अपनी जगह है लेकिन किसी भी सीट पर उनकी पार्टी मुकाबले में नहीं आ पाई। उनके लिए ज्यादा अच्छी खबर बिहार से आई, जहां रामगढ़ सीट पर उनका उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा और महज 14 सौ वोट से हारा। यूपी की सभी नौ सीटों पर पार्टी की जमानत जब्त हुई और वह तीसरे, चौथे या पांचवें स्थान पर रही।
मुस्लिम बहुल मीरापुर सीट पर उनके उम्मीदवार शाह नजर को सिर्फ 3,181 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी की तौर पर उभर रहे चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी 22,400 वोट के साथ दूसरे और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम करीब 19 हजार वोट के साथ तीसरे स्थान पर रही। ऐसे ही कुंदरकी सीट पर मायावती के रफातुल्ला को सिर्फ 1,099 वोट मिले। वहां भी सपा, आजाद समाज पार्टी और एमआईएम दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।
सीसामऊ में बसपा तीसरे स्थान पर रही लेकिन उसके उम्मीदवार वीरेंद्र कुमार को सिर्फ 1,410 वोट मिले। करहल में भी बसपा का वोट 10 हजार नहीं पहुंच सका। हालांकि बाकी पांच सीटों पर उसे 10 से 40 हजार के करीब वोट मिले लेकिन वे हर जगह तीसरे स्थान पर ही रहीं। उपचुनाव के नतीजों से लग रहा है कि उनके लिए मुस्लिम बहुल इलाकों में अब जगह नहीं बची है। वहां आजाद समाज पार्टी और एमआईएम की तरफ लोगों का रूझान ज्यादा है।