- दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच आप कांग्रेस में विवाद
- आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच 36 का आंकड़ा
- इंडिया गठबंधन पर लगातार उठ रहे हैं सवाल
पिछले विधानसभा चुनाव और बीते वर्ष सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के साथ गलबहियाँ डालने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार दिल्ली विधानसभा के चुनाव में ठीक उसके विपरीत दिशा में नजर आ रही है। दोनों पार्टियों के बीच 36 का आंकड़ा दिखाई दे रहा है। दिल्ली विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस आम आदमी पार्टी के साथ कोई नरमी नहीं दिखा रही है। कांग्रेस यह दिखाना चाह रही है कि आम आदमी पार्टी उसकी बड़ी दुश्मन है।
कांग्रेस ने नीचे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं तक यह संदेश पहुंचाया है कि भाजपा जीतती है तो जीत जाए लेकिन आप को सत्ता हासिल करने से रोकना है। पिछली बार के विधानसभा चुनाव में इसका उलटा संदेश था।
पिछली बार अनेक क्षेत्रों में, जिसमें नई दिल्ली विधानसभा सीट भी है, वहां कांग्रेस की ओर से यह संदेश था अगर कांग्रेस की वजह से आम आदमी पार्टी हारती दिखे तो कांग्रेस को छोड़ कर आप को वोट करना है।
तभी पिछली बार कांग्रेस सवा चार फीसदी वोट पर सिमट गई थी। वह उम्मीदवारों का अपना वोट था। इस बार कांग्रेस आम आदमी पार्टी को हराने के लिए लड़ रही है। चंडीगढ़ में भी कांग्रेस के पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग करके आम आदमी पार्टी के मेयर के उम्मीदवार को हराया।
उसने अमृतसर में आम आदमी पार्टी की ओर से किए गए धोखे का बदला लिया। दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों ने केजरीवाल के खिलाफ खूब प्रचार किया। उनको बेईमान, भ्रष्ट और ‘शीशमहल’ में रहने वाला बताया है।
केजरीवाल ने नेशनल हेराल्ड केस में राहुल के फंसे होने का जिक्र किया तो रॉबर्ट वाड्रा की वजह से भाजपा से समझौते का भी जिक्र किया। सो, दिल्ली का नतीजा चाहे जो हो लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि इसके बाद दोनों पार्टियां कैसे साथ आती हैं या दोनों अलग अलग ही लड़ती रहती हैं!