- जगत के स्वामी श्रीकृष्ण आज भी बने हुये हैं रहस्य
- कृष्ण की मृत्यु के बाद उनकी पत्नियों का क्या हुआ?
- जानें आखिर कृष्ण की प्रेमिकाओं का क्या हुआ?
जगत के स्वामी श्रीकृष्ण आज भी रहस्य बने हुये हैं, उनके रहस्यों को कोई जान पाया और न ही उनके मार्गों को ठीक प्रकार से कोई अख्तियार कर सका है। एक सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह है कि आखिर श्रीकृष्ण की 16 हजार पत्नियां थीं तो वो उनकी मृत्यु के पश्चात कहां गईं और उनके भविष्य का क्या हुआ। आज हम इस वीडियो में इसी विषय पर बात करेंगे….
श्री कृष्ण और उनकी पत्नियों से जुड़ी कई मान्यताएं हैं जो आज भी एक रहस्य समेटे हुए हैं। उदाहरण के तौर पर कई लोगों का कहना है कि श्री कृष्ण ने 16100 विवाह किये थे। जबकि यह पूरी तरह से गलत है। श्री कृष्ण की 16 हजार पत्नियां अवश्य थीं लेकिन उन्होंने सिर्फ 3 विवाह किए थे। अब आप कहेंगे कि दोनों बातों में क्या अंतर है तो बता दें कि जब नरकासुर का वध कर श्री कृष्ण लौट रहे थे तब उन्होंने देख कि वहां मौजूद कन्याएं आत्म दाह करने जा रही हैं क्योंकि उन्हें समाज और परिवार अब स्वीकार नहीं करेगा।
इस सामूहिक आत्म दाह को रोकने के लिए श्री कृष्ण ने उन सभी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, पत्नी का मान-सम्मान दिया था लेकिन उनके साथ विवाह कभी भी नहीं रचाया था और न ही दांपत्य भाव का निर्वहन किया था। साथ ही, श्री कृष्ण ने सभी कन्याओं से विवाह से पूर्व यह शर्त भी रखी थी कि वह कभी भी श्री कृष्ण पर अपना आधिपत्य नहीं मानेंगी और न ही संतान प्राप्ति के लिए उनसे पत्नी होने का अधिकार प्राप्त करने की इच्छा रखेंगी। इस प्रकार श्री कृष्ण की 16100 पत्नियां थीं।
यह सिर्फ एक बात नहीं है जो कृष्ण और उनकी पत्नियों से जुड़ी हो, ऐसी कई बातें हैं जो या तो आधारहीन हैं या वह आधा सत्य है जिसकी संपूर्ण सच्चाई लोगों को नहीं पता। इसी कड़ी में एक धारणा कहती है श्री कृष्ण की मृत्यु के बाद उनकी पत्नियों ने द्वारका पर राज किया था, जबकि यह पूर्णतः गलत है। श्री कृष्ण की मृत्यु के बाद उनकी पत्नियों का क्या हुआ और कहां अचानक विलुप्त हो गईं भगवान श्री कृष्ण की 16 हजार 108 पत्नियां?
पौराणिक कथा के अनुसार, श्री कृष्ण के पैर के अंगूठे में जब तीर लगा था तब श्री कृष्ण ने मित्यु का स्मरण किया और अपने शरीर को त्यागते हुए वह अपने धाम गोलोक पुनः श्री राधा रानी के पास लौट गए थे। भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार अर्जुन ने किया था और इसके बाद अर्जुन अपने पांचों भाइयों यानी कि पांडवों और पत्नी द्रौपदी के साथ स्वर्ग की यात्रा पर मोक्ष प्राप्ति के लिए निकल गए थे।
वहीं, श्री कृष्ण ने समुद्र देव को पहले ही यह आदेश दिया था कि उनकी मृत्यु के बाद समुद्र संपूर्ण द्वारका नगरी को अपने भीतर समाहित कर लें जिसके बारे में श्री कृष्ण की 16 हजार 108 रानियों को भी पता था। श्री कृष्ण की प्रथम पत्नी मां लक्ष्मी का अवतार रुक्मणि देवी ध्यानांतर होकर भगवान विष्णु के पास वैकुण्ठ धाम लौट गईं थीं।
अन्य 7 पत्नियां असल में पूर्व जन्म के ऋषि थे जिन्होंने कृष्ण प्रेम भक्ति मांगी थी। सातों ऋषियों के वरदान को फलित करने के लिए श्री कृष्ण ने बिना विवाह किये उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में द्वापर काल में इस अवतार में स्वीकार किया और अपने द्वारका महल में निवास स्थान दिया।
इसके अलावा, बाकी 16 हजार 100 पत्नियां जो थीं वह वन की ओर चली गईं क्योंकि गांधारी के दिये श्राप अनुसार श्री कृष्ण के कुल को आगे बढ़ाने वाला कोई भी जीवित नहीं था। वन में जाकर उन्होंने तपस्या की। पौराणिक कथा कहती है कि वन में जब सभी रानियां तप कर रही थीं तब उनके तप से निकलने वाली ऊर्जा से ही स्वयं को श्री कृष्ण की पत्नियों ने भस्म कर लिया था और उन्हें श्री कृष्ण के चरणों में स्थान मिला था।
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