What is bijnor famous for?: भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। हिमालय की उपत्यका में स्थित बिजनौर को जहाँ एक ओर महाराजा दुष्यन्त, परमप्रतापी सम्राट भरत, परमसंत ऋषि कण्व और महात्मा विदुर की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है, वहीं आर्य जगत के प्रकाश स्तंभ स्वामी श्रद्धानन्द, अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक डॉ॰ आत्माराम, भारत के प्रथम इंजीनियर राजा ज्वालाप्रसाद आदि की जन्मभूमि होने का सौभाग्य भी प्राप्त है।
What is bijnor famous for? बिजनौर में पर्यटक स्थल
बिजनौर दारानगर | Bijnor Daranagar
बिजनौर कई पर्यटकों के आकर्षण से घिरा हुआ है जो शहर से सड़क मार्ग या रेलवे के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। बिजनौर में अच्छी तरह से वाजिब परिवहन व्यवस्था और गुणवत्ता वाले राजमार्ग अपने पड़ोसी शहरों में जाने के लिए आसान बनाते हैं। बिजनौर के पास ऐतिहासिक किले, लोकप्रिय मंदिर, अभयारण्य, आश्रम और नदियां हैं जो लोगों के बीच लोकप्रिय हैं।
विदुर कुटी आश्रम | Vidur Kuti Ashram Bijnor
बिजनौर शहर से लगभग 11 किमी की दूरी पर दारानगर गंज मे स्थित विदुर कुटी आश्रम बिजनौर के पर्यटन स्थलों मे एक धार्मिक महत्व वाला स्थान है। विदुर कुटी का प्राचीन महत्व महाभारत काल से है। विदुर कुटी को महात्मा विदुर ने बसाया था। महाभारत युद्ध में भाग लेने के बजाए उन्होंने गंगा किनारे गंज क्षेत्र में अपना आश्रम बनाया था। युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण भी विदुर कुटी पर आए थे। उन्होंने दुर्योधन के 56 भोगों को त्यागकर महात्मा विदुर के आश्रम में बथुए का साग खाया था। अपने इसी महत्व के कारण यह स्थान भक्तों और पर्यटकों का पसंदीदा है। यहां हर साल एक मेला भी आयोजित किया जाता है। जिसमे हजारो की संख्या भक्त भाग लेते है।
नजीब उद दौला का किला या सुलताना डाकू का किला | Sultana Daku ka Kila
नवाब नाजीब-उद-दौला, जिसे नजीब खान भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध रोहिल्ला मुस्लिम योद्धा था और मुगल साम्राज्य और दुर्रानी साम्राज्य दोनों के सैनिक थे। नवाब नजीब-उद-दौला 18 वीं शताब्दी में रोहिला आदिवासी प्रमुख रोहिलखंड थे, जिन्होंने 1740 के दशक में भारत के बिजनौर जिले में नजीबाबाद शहर की स्थापना की, और उन्होंने रोहिला जनजातियों से स्वतंत्र नजीबाबाद राज्य, वर्तमान शहर स्थापित किया।
सफरजंग सम्राज्य मे उन्हें नवाब की उपाधि मिली थी। उन्होंने यहां एख किले का निर्माण कराया। बाद मे सन् 1920 के लगभग इस किले पर उस समय के मशहूर डाकू सुलताना ने कब्जा कर लिया था। आज यह किला नवाब की अपेक्षा सुलताना डाकू के नाम से ज्यादा जाना जाता है। इस किले को पत्थरगढ़ का किला भी कहा जाता है। यह इमारत पुरातत्व विभाग की संरक्षित इमारत है। हांलांकि की किला आज क्षतिग्रस्त हालत मे है। फिर भी यह पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है।
फुलसन्दा आश्रम
“एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा” मंत्र के गुरु जी का जन्म जिला बिजनौर में हुआ जिनका आश्रम बिजनौर के फुलसन्दा गांव में है।
मयूर ध्वज दुर्ग चीनी यात्री ह्वेनसांग के अनुसार जनपद में बौद्ध धर्म का भी प्रभाव था। इसका प्रमाण ‘मयूर ध्वज दुर्ग’ की खुदाई से मिला है। ये दुर्ग भगवान कृष्ण के समकालीन सम्राट मयूर ध्वज ने नजीबाबाद तहसील के अंतर्गत जाफरा गाँव के पास बनवाया था। गढ़वाल विश्वविद्यालय के पुरातत्त्व विभाग ने भी इस दुर्ग की खुदाई की थी।
हनुमान धाम
“बिजनोर शहर के पास स्थित किरतपुर शहर में हनुमान जी की ९० फुट ऊँची प्रतिमा है साथ में अन्य देवी देवताओ के मंदिर भी है जिनकी आस पास के छेत्रो में काफी श्रद्धा है।
इंदिरा पार्क बिजनौर | Indira Park Bijnor
इंदिरा पार्क, बिजनौर अपने प्रियजनों के साथ एक महान समय बिताने के लिए एक आदर्श गंतव्य है। बिजनौर मे घूमने लायक जगहों मे यह एक लोकप्रिय स्थल है। बिजनौर मे आवास विकास कलोनी के सामने बैराज रोड पर स्थित यह सुंदर पार्क अपने हरे भरे परिवेश के कारण स्थानीय और पर्यटकों की पसंदीदा जगह है। स्थानीय लोगों के लिए यह सुबह और शाम सैर करने का एक मुख्य स्थल है। पार्क बड़ों के साथ साथ बच्चों के लिए भी मंनोरंजन का विशेष साधन है। पार्क मे लगे अनेक तरह के झुले बच्चों को खूब आकर्षित करते है। व्यस्थ और तनाव भरे सप्ताह के बाद परिवार के साथ एक मनोरंजक पिकनिक मनाने का एक अच्छा स्थान है। पार्क मे एक रेस्टोरेंट भी है जहां चाय नास्ते की उत्तम व्यवस्था है।
बिजनौर का इतिहास || Bijnor History in Hindi
बिजनौर जनपद के प्राचीन इतिहास को स्पष्ट करने के लिए अधिक प्रमाणों का अभाव है। लेकिन सबसे पहले बिजनोर का संदर्भ रामायण काल मे आता है। वाल्मीकि रामायण मे इस क्षेत्र को प्रलंब तथा उत्तरी कारापथ कहा गया है। भगवान श्रीराम जी के छोटे भाई शेषावतार भगवान लक्ष्मण जी के पुत्रों मे एक परम् प्रतापी चन्द्रकेतु को इसी उत्तरापथ का राज्य सौंपा गया था। उत्तरी कारापथ बिजनोर के मैदानों से लेकर श्रीनगर गढ़वाल तक का सम्पूर्ण क्षेत्र प्राचीन काल मे लक्ष्मण जी के पुत्रों के अधिकार मे रहा था।
वैसे तो बिजनोर मे क्षत्रिय वर्ण के कई वंश अलग – अलग छोटी बड़ी रियासतों पर अधिकार मे रहें हैं जिनमे से अधिकांश 10वीं सताब्दी के बाद राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आये थे, लेकिन यह क्षेत्र भगवान लक्ष्मण जी के वंशज तथा कौशल अथवा कौशल्य गोत्र के रघुवंशी राजपूतो का मूल स्थान है। कौशल अथवा कौशल्य गोत्र के रघुवंशी क्षत्रिय आज भी बड़ी संख्या मे इस क्षेत्र के अनेक गाँव तथा कस्बों मे रहते हैं।
ऐसा माना जाता है कि उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी भी रघुवंशियों की भगवान लक्ष्मण वाली शाखा के वंशज ही हैं। मध्यकाल तक यहां दारानगर मे विदुरकुटी के गंगा तट पर युद्ध प्रदर्शन के रूप मे क्षत्रियों का मेला भी लगता था, जिसे अपभ्रंश रूप मे छड़ियों का मेला भी कहा जाता है। इस मेले मे युद्ध एवं मल्ल युद्ध के प्रदर्शन हेतु देशभर के क्षत्रिय राजा भाग लिया करते थे।
What is bijnor famous for
What is bijnor famous for: बिजनौर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद खास स्थल है जहां हर कोई आना चाहता है। इस जमीन को महाराजा दुष्यन्त, परमप्रतापी सम्राट भरत, परमसंत ऋषि कण्व और महात्मा विदुर की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है। आपको बता दें कि विदुर कुटी बिजनौर से लगभग 12 किमी दूर स्थित है इसका बहुत ऐतिहासिक महत्व है। दुर्योधन के साथ अपने युद्ध के बाद महात्मा विदुर ने अपना बचा हुआ समय यहीं बिताया। कहानियों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण भी बिजनौर आए थे। पांडवों और कौरवों के बीच लड़ाई के दौरान महात्मा विदुर ने दोनों पक्षों की सभी महिलाओं और बच्चों के परिवार के सदस्यों की रक्षा और सुरक्षा की बात कही है। पर्याप्त क्षेत्र की कमी के कारण, विदुर ने महिलाओं और बच्चों के लिए एक विशेष क्षेत्र बनाने का निर्णय लिया। इस स्थान को अब दारानगर विदुर के नाम से जाना जाता है।
अभिज्ञान शाकुंतलम के अनुसार, हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत एक बार शिकार करते हुए इस क्षेत्र में पहुंचे और शकुंतला से मिले, जिनसे उन्हें पहली नजर में प्यार हो गया। अकबर के नवरत्नों में अबुल फ़जल और फैज़ी का पालन-पोषण बास्टा के पास हुआ। उर्दू साहित्य में भी जनपद बिजनौर का गौरवशाली स्थान रहा है। क़ायम चाँदपुरी को मिर्ज़ा ग़ालिब ने भी उस्ताद शायरों में शामिल किया है। नजीबाबाद में स्थित नजीबुदौलह का किला मौजूद है जिसे मुगल वंश के पतन के बाद 18वीं शताब्दी के दौरान गुलाम कादिर (नजीबुदौला) द्वारा स्थापित किया गया था।
बिजनौर जिले में कई प्रसिद्ध और लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। विदुर कुटी बिजनौर से 12 किमी दूर स्थित है। क्षेत्र में कई प्राचीन मंदिर और आश्रम हैं। जहानाबाद गंज से केवल 1 किमी दूर है। चाँदपुर-जलीलपुर मार्ग पर नानौर गाँव के पास स्थित सीता का मंदिर है जिसे सीता मंदिर मठ के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा बिजनौर शहर में एक खेल स्टेडियम भी है जो युवा प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करता है।
इसी धरती ने भारतीय फिल्म जगत को न सिर्फ प्रकाश मेहरा जेसे निर्माता एवं शाहिद बिजनौरी सरीखे कलाकार दिये बल्कि वर्तमान में फिल्म एवं धारावाहिक के मशहूर लेखक एवं निर्माता दानिश जावेद जैसे साहित्यकार आज भी मुम्बई से बिजनौर का नाम रोशन कर रहे हैं, वर्तमान में महेन्द्र अश्क देश विदेश में उर्दू शायरी के लिए विख्यात हैं। भारतीय फिल्म जगत के जाने माने निर्माता, निर्देशक, संगीतकार विशाल भारद्वाज का गृहजिला भी बिजनौर ही है!
बिजनौर में कई अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं, शॉपिंग मॉल और विभिन्न शैक्षणिक संस्थान हैं, जो पूरे क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान करते हैं। नगीना-बिजनौर मार्ग पर स्थित सिकैदा जिले का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। नजीबाबाद-बिजनौर राजमार्ग पर स्थित शकरपुरी गांव भी आम और गन्ने के लिए बहुत लोकप्रिय है।
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