चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है. आज छठ पर्व का पहला दिन है, जिसे नहाय खाय कहा जाता है. इसके अगले दिन खरना होती है, जोकि महापर्व का दूसरा और अहम दिन होता है। छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। इस दिन सुबह से लेकर शाम तक उपवास करते हैं और शाम के समय भोजन करते हैं। इसे खरना कहा जाता है और शास्त्रों में खरना का मतलब शुद्धिकरण बताया गया है। इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की परंपरा है।
बता दें कि इस साल छठ पर्व की शुरुआत 5 नवंबर से हुई है और खरना पूजा 6 नवंबर 2024 को किया जाएगा. छठ में मुख्य रूप से भगवान भास्कर और छठी मैया यानी षष्ठी देवी की पूजा का विधान है।
छठ पूजा में खरना का महत्व
छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व होता है. यह चार दिवसीय छठ का दूसरा दिन होता है. खरना में स्वच्छता और शुद्धता को ध्यान में रखते हुए व्रती महिलाएं स्नानादि के बाद मिट्टी के चूल्हे में चावल की खीर और मीठी रोटी बनाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार खरना के दिन ही छठी मैया का आगमन होता है, इसलिए इस दिन को छठ पर्व में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है।
खरना पूजा का शुभ मुहूर्त 6 नवंबर शाम 5 बजकर 29 मिनट से रात 7 बजकर 48 मिनट कर रहेगा. इस समय के दौरान व्रती महिलाएं खरना पूजा कर लें।
खरना पूजा के दिन व्रती को स्नानादि से निवृत्त होने के बाद ही प्रसाद बनाने की तैयारी करनी चाहिए. स्नान के बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद मिट्टी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ से खीर बनाएं. इसी के साथ मीठी रोटी भी बनाएं और पके हुए केले रखें. इन प्रसाद का भोग सबसे पहले छठी मैया लगाएं और धूप-दीप जलाएं. इसके बाद शुभ मुहूर्त में खुद भी खरना का प्रसाद ग्रहण करें. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती को कुछ नहीं खाना चाहिए. इसके बाद ऊषा अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण किया जाता है।