महाराष्ट्र विधान सभा के चुनावों में लगता है सत्ता की चाभी इस बार चाचा – भतीजे के हाथ में होंगी। लोकसभा चुनाव में चाचा शरद पवार ने अपने भतीजे अजीत पवार को जोरदार धोबी पछाड़ दांव लगाकर चारों खाने चित कर दिया था। अब एक बार फिर दोनों सियासी पहलवान विधानसभा चुनावों में आमने सामने आ डटे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का अधिकृत चुनाव चिन्ह घड़ी अजीत पवार के गुट को कुछ शर्तों के साथ देकर फौरी राहत प्रदान कर दी है।
सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले चाचा शरद पवार महा विकास अघाड़ी के साथ हैं तो भतीजा अजीत पवार महायुति के साथ है।
शरद पवार की एनसीपी लगभग 75 सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो अजीत पवार की एनसीपी लगभग 55 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। इसी बीच चाचा भतीजे ने अपना अपना सियासी वर्चस्व स्थापित करने के लिए शतरंजी चालें शुरू कर दी है। चुनावी समीकरण अपने अपने पक्ष में बैठाने के लिए उम्मीदवारों का चयन करना शुरू कर दिया है।
गौरतलब है बारामती में अजित पवार के खिलाफ उनके ही भतीजे युगेंद्र पवार को शरद पवार के गुट ने टिकट दिया है। युगेंद्र पवार,शरद पवार के पोते और अजित पवार के भाईं श्रीनिवास पवार के बेटे हैं।
इसके चलते बारामती सीट पर एक बार फिर अगली पीढ़ी के चाचा- भतीजे के बीच लड़ाई शुरू हो गईं है। दोनों के लिए यह चुनाव करो या मरो साबित होंगे। यह तो चुनावी परिणाम ही सिद्ध करेंगे की कौन किसको पटकनी देने में सफल होगा। सियासी समीक्षकों का मानना है चाचा भतीजा ही महाराष्ट्र के चुनावी किस्मत का फैसला करेंगे।
जिस गुट को अधिक सीटें हासिल होंगी वही सत्ता पर काबिज होने में अपने अपने गठबंधन की मदद कर पायेगा। देश के कई रसूखदार सियासी परिवारों में सत्ता संग्राम होते हुए देखा गया है। मगर चाचा भतीजों की लड़ाई बेहद दिलचस्प है। सियासत के परिवार विशेष के कंट्रोल में चलने वाली पार्टियों में इस तरह की टूट देखने को मिलती ही मिलती हैं। सियासत में चाचा भतीजे की कहानियां भी अजब गजब के रूप में याद की जाती है। अजित पवार और शरद पवार की तरह पार्टी पर कब्जे को लेकर देश में ऐसे कईं चाचा-भतीजे के मतभेद सामने आए है। शरद पवार-अजित पवार, चिराग पासवान-पशुपति पारस, राज ठाकरे-बाल ठाकरे, गोपीनाथ मुंडे-धनंजय, प्रकाश सिंह बादल, मनप्रीत बादल, अभय चौटाला, दुष्यत चौटाला, अखिलेश और शिवपाल की कहानियां लोग चटकारे लेकर सुनते और सुनाते हैं ।
महाराष्ट्र में चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच वर्चस्व की लड़ाईं लड़ी जा रही है। महाराष्ट्र में ही शिवसेना प्रमुख दिवंगत बाल साहेब ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने उनकी पार्टी शिवसेना से बगावत कर दूसरी पार्टी मन से बना ली।
चचेरे भाईं उद्धव ठाकरे को ज्यादा तरजीह मिलने लगा तब नवंबर 2005 में राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ने का ऐलान कर दिया।