प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जनपद में रामपुरखास एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां से प्रमोद तिवारी 1980 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े और विजयश्री प्राप्त हुई और रिकार्ड तोड़ दस बार विधायक निर्वाचित हुए और उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज़ है।बाद में उन्हें कांग्रेस पार्टी ने 2014 में राज्यसभा का सांसद बनाकर भेज दिया और उनकी पुत्री आराधना मिश्रा मोना ने कांग्रेस के टिकट पर बीजेपी के प्रत्याशी नागेश प्रताप सिंह को चुनाव में शिकस्त देकर अपनी जीत दर्ज़ कराते हुए रामपुरखास में कांग्रेस के गढ़ और गाढ़ा कर दिया।
रामपुरखास में इस कांग्रेस के 41वर्षों केअभेद्य किले को ध्वस्त करने के लिए भाजपा सहित अनेकों पार्टियों ने कई बार प्रयन्त किया लेकिन सफलता हांथ न लगी।यहां की जनता और विश्लेषकों का मानना है कि इस क्षेत्र में के चतुर्मुखी विकास में कांग्रेस का विशेष योगदान रहा है।बावज़ूद इसके इस बार फिर भाजपा ने अपना प्रत्याशी नागेश प्रताप सिंह को चुनावी दंगल में उतार कर जीत के लिए आशान्वित दिख रही है क्योंकि अभी पिछले माह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस क्षेत्र मे आकर एक जनसभा में सरकार द्वारा किये जा रहे विकास की उपलब्धियों को गिनाया था।इसके अतिरिक्त अन्य सभी पार्टी के प्रत्याशी जनता के बीच जाकर पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने अपने जीत का भरोसा है।बहरहाल, अब मुश्किल से मतदान के दस दिन शेष हैं।मतदाताओं का रुझान किधर होगा, उसका विश्वास किस पर है,इसका पता तो परिणाम के दिन 10 मार्च को ही लग पायेगा
2022के चुनाव में रामपुरखास विधानसभा क्षेत्र से 14 प्रत्याशियों ने नामांकन कर अपने अपने भाग्य की किस्मत आजमायेंगे जिसमें मुख्यतःकांग्रेस से आराधना मिश्रा मोना, भाजपा से नागेश प्रताप सिंह उर्फ छोटे सरकार, बीएसपी से बांके लाल पटेल और आम आदमी पार्टी से अजीत हैं, इसके अलावा 10अन्य पार्टियों व निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में उतरे हैं जो अपने भाग्य को टटोलेंगे।क्षेत्रीय जनमानस में फिलहाल इस बात की चर्चा है कि वास्तव में चुनावी जंग कांग्रेस और बीजेपी के ही मध्य है।
अभी दो दिन पूर्व रामपुरखास में मतदाताओं की अनंतिम सूची जारी हुई है जिनमें कुल मतदाताओं की संख्या 320161 बताई गई है और यदि जातीय समीकरण की बात करें तो इस क्षेत्र में ब्राह्मण और दलित सभी जातियों में सर्वाधिक हैं, इसके बाद कुर्मी, यादव, क्षत्रिय, मुसलमान व अन्य जातियां हैं जो प्रत्याशियों के भाग्य का फ़ैसला करेंगी।