ओशो मृत्योत्सव: ध्यान व आनंद की पाठशाला में सन्यासियों ने लगाई डुबकी
मेरठ। कहते हैं कि ओशो भारत के ऐसे सन्यासी थो जिनके नाम पर पूरी दुनिया में एलर्ट घोषित किया जाता है लेकिन भारत में किसी भी गूढ़ रहस्य को समझने वालों की तादात बेहद कम है और जो हैं भी वो बहुत देरी से समझते हैं।
ओशो रजनीश का जन्म 11 दिसम्बर 1931 को कुचवाड़ा मध्यप्रदेश में हुआ था। जीवन में प्रेम व उत्सव का संदेश समझाते हुये ओशो अपने शरीर को 19 जनवरी 1990 में छोड़ गये। लेकिन उनके संदेशों को आज तक लोग बार-बार सुनते हैं और उनके बताये रास्तों पर चलकर निजी जीवन में उत्साह का संचार करते हैं।
तकरीबन दो दर्जन सन्यासियों ने एकसाथ नादब्रह्म, मिस्टिक रोज व ह्वाइट रोब ध्यान का आनंद लिया। इस दौरान लोगों में विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं भी सुनने को मिली। सभी ने शानदार तरीके से कार्यक्रम का आयोजन किया। स्वामी राजीव रस्तोगी, स्वामी मुनीश यादव, स्वामी विजय त्रिखा, स्वामी सुनील गंभीर, स्वामी अभय गर्ग, संजय यादव, अहलावत जी, स्वामी नोहारी लाल, स्वामी राजबहादुर का विशेष सहयोग रहा।
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