Nauchandi Mela Meerut: मेरठ का प्रसिद्ध नौचंदी मेले के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यह ऐतिहासिक नोचंदी मेले की पूरी जानकारी दी जा रही है ताकि आप कहीं से भी आएं तो इस मेले का पूरा लुत्फ ले सकें।
Nauchandi Mela Meerut क्या है
उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मेलों में से एक Nauchandi Mela Meerut का एक ऐतिहासिक मेला है जो कि मेरठ में हर साल लगता है…. Nauchandi Mela Meerut हिन्दू-मुस्लिम एकता का परिचय देता है, इस मेले में हजरत बाले मियां की दरगाह एवं नवचण्डी देवी का मंदिर इस बात का प्रतीक है और दोनो एक-दूसरे के पास ही स्थित है। जहाँ एक तरफ मंदिर में भजन कीर्तन होते रहते हैं तो वहीं दूसरी तरफ दरगाह पर कव्वाली आदि होती रहती है। मेले के दौरान मंदिर के घण्टों के साथ अज़ान की आवाज़ एक सांप्रदायिक अध्यात्म की प्रतिध्वनि देती है। इसके अलावा एक बड़े मेले में जो कुछ होना चाहिए वो सब यहाँ है। भरपूर मनोरंजन, खाना-खुराक, भीड़-भाड़, सुरक्षा-व्यवस्था सब कुछ जिसे देखने को लिए लोग दूर–दूर से आते है।
Nauchandi Mela Meerut का इतिहास
कहा जाता है कि Nauchandi Mela Meerut का स्वरूप पौराणिक मेरठ के इतिहास से जुड़ा है यानी इसका इतिहास 350 साल पुराना है। मुगल काल से चले आ रहे नौचंदी मेले ने शहर के कई स्वतंत्रता आंदोलनों को महसूस किया। स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष की जहां नौचंदी गवाह बनी ताे वहीं शहादत के दर्द को भी मेले ने करीब से महसूस किया। अत्याचार और बगावत के सुरों को भी इस नौचंदी ने खूब सुना। यहीं नहीं 1857 का संग्राम देखने का गौरव भी नौचंदी से अछूता नहीं रहा। आजादी की मूरत बनी नौचंदी ने शहर के कई उतार चढ़ाव देखे, लेकिन मेले की रौनक कभी कम न हुई। जब देश आजाद हुआ तो बंटवारे का वक्त आया उस समय शहर में तो क्या पूरे समूचे देश में सांप्रदायिक माहौल बिगड़ गया। किंतु लेकिन एक बात तो है शासन चाहे मुग़लों का रहा हो या अंग्रेज़ी हुकूमत या फिर स्वतंत्रता संग्राम या सांप्रदायिक दंगे ही क्यूं ना हुए हो लेकिन, आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि शहर में नौचंदी के मेले का आयोजन न हुआ हो और यही इस मेले की सबसे खास बात है।
Nauchandi Mela Meerut कब लगता है
नौचंदी मेला चैत्र मास के नवरात्रि त्यौहार से एक सप्ताह पहले से लग जाता है लगभग होली के एक हफ्ते बाद और एक महीने तक चलता है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है। आपको बता दें कि नौचंदी मेला रात के समय में लगता है जबकि दिन के समय में मैदान खाली पडा रहता है। रात के समय में इस मेले की सुंदरता देखते ही बनती है जो भी इस मेले में जाता है इसकी सुंदरता को निहारता ही रहता है। ऊंचे-ऊंचे झूले इसकी खूबसूरती को चार चांद लगा देते है। बच्चे हो या बडे सभी इन झूलों का आनंद लेते दिखाई देते है। इस मेले में खाने-पीने का एक से बढकर एक वैरायटी देखने को मिलती है। जो भी इस मेले में जाता है इसका दीवाना होकर रह जाता है।
Nauchandi Mela Meerut की खासियत क्या है
इस मेले की खासियत ये है कि ये मेला हर साल लगता है… चाहे कुछ भी हो जाये लेकिन ये मेला लगता जरूर है। हां वो बात अलग है कि कोरोना जैसी महावारी आने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया था तो उस समय नौचंदी मेला नही लग पाया था क्योंकि बिमारी इतनी भयंकर थी कि यदि कोई भी एक-दूसरे के संपर्क में आता तो कोरोना के केस काफी बढ जाते जिन्हे कंट्रोल करना डॉक्टर्स के लिए नामुमकिन हो जाता।
Nauchandi Mela Meerut कैसे पहुंचे
मेरठ में रहने वाले लागों के लिए Nauchandi Mela Meerut पहुंचना कोई मुश्किल बात नही है लेकिन यदि आप कभी नौचंदी मेले में नही गये और पहली बार वहां जा रहे है और आपको रास्ता नही पता तो वो हम आपको बताते है…. आप मेरठ में कहीं भी रहते हो आपको बस अपने निवास स्थान से गांधी आश्रम पहुंचना होगा और वहीं से आपको थोडी ही दूरी पर नौचंदी मेला दिखाई दे जायेगा। यदि आप किसी दूसरे शहर से ट्रेन से आ रहे है तो आप सबसे पहले मेरठ सिटी स्टेशन पर उतरें। उसके बाद वहां से आपको ऑटो या ई रिक्शा मिल जायेगी जिसका किराया आपको 20 से 25 रूपये देना होगा। इसी तरह से आपको बस अड्डे पर उतरने के बाद ई रिक्शा या नगरीय बस द्वारा Nauchandi Mela Meerut आने में आसानी रहेगी।