रंगभरी एकादशी पर बरसेगी रंगों की फुहार

उदया तिथि के अनुसार 10 मार्च को मनाया जाएगा पर्व। इस दिन नक्षत्रों का राजा पुष्य और शोभन योग का रहेगा संयोग। शिव -पार्वती को अबीर -गुलाल और भगवान विष्णु को आंवला चढ़ाने से होता है सुख समृद्धि का आगमन।

बरेली। बसंत के प्रभाव से प्रकृति पुष्पित- पल्लवित और आह्लादित हो तो मन मे भी उमंग छा जाता है और रंगोंत्सव शुरू हो जाता है। ऐसे बसंत के माहौल में अब होली की मस्ती घुलने लगी है। भारतीय परंपरा के अनुसार रंगभरी एकादशी से रंगों का उल्लास यानी होली का हुड़दंग शुरू हो जाता है।

ज्योतिष अनुसार वैसे फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी का शुभारंभ 9 मार्च रविवार को प्रातः 7:44 से हो जाएगा और 10 मार्च सोमवार को प्रातः 7:40 तक रहेगा उदया तिथि की प्रधानता के अनुसार एकादशी का पावन त्योहार 10 मार्च को ही मनाया जाएगा। सबसे खास बात तो यह है कि, इस एकादशी पर सभी नक्षत्रों का राजा पुष्य नक्षत्र विद्यमान रहेगा। साथ ही शोभन योग भी व्याप्त होगा। इन संयोगों में पूजा -पाठ का महत्व भी कई गुना अधिक बढ़ेगा। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी को आमल की एकादशी भी कहते हैं।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा -अर्चना, व्रत -उपवास करने से सुख -समृद्धि और धन वृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु को आंवला चढ़ाने से मन प्रसन्न रहता है और जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा भी हो जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन देवाधिदेव महादेव विवाह के बाद गौना करा कर पहली बार माता पार्वती के साथ काशी आए थे तब भक्तों ने रंग गुलाल आदि रंगों से इनका स्वागत किया तब से इस त्यौहार को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

यह होता है खास महत्व

फाल्गुन शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी होली से चार दिन पहले पड़ती है। इस दिन भगवान विष्णु, और भोलेनाथ को अबीर, गुलाल अर्पित करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। साथ ही इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम व मंत्र जाप करने से जीवन में सुख समृद्धि का आगमन शुरू हो जाता है।

व्रत-पूजा विधि

रंगभरी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। व्रत का संकल्प लें और फिर भगवान विष्णु की आराधना करें। भगवान विष्णु को पीले फूल अर्पित करें। घी में हल्दी मिलाकर विष्णु जी को दीपक दिखाएं। पीपल के पत्ते पर दूध और और केसर से बनी मिठाई रखकर भगवान को चढ़ाएं।

एकादशी की शाम तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं और भगवान विष्णु को केले और आंवला चढ़ाएं और गरीबों को भी केले बांटे।इस दिन आंवले के दान से गौ दान का फल मिलता है।इसलिए आंवले का सेवन और दान करें। इसके अलावा, कनक धारा स्तोत्र का पाठ करें।इससे हर तरह की दरिद्रता का नाश होगा। उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।