सेहत को दें Energy का बूस्टअप, इन तरीकों से बढ़ायें इम्यूनिटी || Ayurvedic Medicine of Immunity
- संवाददाता, ई-रेडियो इंडिया
मनुष्य की गलतियों ने उसे आज ऐसे मोड़ पर खड़ा कर दिया है जहां से जीवन की बागडोर अनजान शक्ति के हाथों में जाने को आतुर है। समाज की रुग्ण विचारधारा ने आज हमें मानसिक रूप से रोगी बना दिया है…
कोरोना को इसका दोष देना पूर्ण रूप से ठीक नहीं होगा… हमारी जीवनशैली ने हमें ज्यादा आलसी बना दिया और स्वाद लेने की जिद हमें बीमार बना दिया…. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हमारी शरीर में इम्यून सिस्टेम को कमजोर करने में हम खुद ही जिम्मेदार है…..
लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है… आज हम आपको कुछ ऐसी बातों को बताने आयी हूं जिसे अगर आपने फालो किया तो आपकी इम्यूनिटी सिस्टम को पहले से ज्यादा मजबूत बनाया जा सकता है।
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दोस्तों, पहली बात है कि आपको अपना आहार बिलकुल ठीक रखना है। अगर आप भोजन करने से पहले एक प्लेट सलाद खाने की आदत डाल लें तो आपकी इम्यूनिटी लेवल में आश्चर्यजनक इजाफा देखने को मिलता है।
दूसरी बात यह कि, दिन की शुरुआत का पहला हिस्सा योग और ध्यान से किया जाये तो जीवन में 99 फीसदी समस्याओं को छू-मंतर किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने इस मामले में भारत को विश्वगुरू माना है।
तीसरी बात जो अहम भी है… ये उनके लिये है जो उपर की आसान बातों को नहीं मानते और भाग्य के सहारे बैठकर अपने जीवन की नैय्या बिन नाविक नदी में तैरा देते हैं….. साथियों इस तरह के लोगों के लिये इम्यूनिटी सिस्टेम को मजबूत बनाने का सरल तरीका है एलोपैथिक, होमियोपैथिक व आयुर्वेदिक दवायें। आज हम कुछ आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में बात करेंगे-
सी-बक्थोर्न और स्पिरूलीना दो ऐसी मेडिसिन प्रापर्टी की दवाओं हैं जो हमारे शरीर की डेड सेल्स को भी जीवित करने का माद्दा रखती हैं। यह नील-हरित शैवाल यानी एलगी नामक घास होती है। स्पिरूलीना 45 प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होता है…. इसमें मिनरल्स, बी कॉम्प्लेक्स और बीटा कैरोटीन की मात्रा सबसे ज्यादा होती है।
WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन भी स्पिरूलीना को नियमित रूप से सेवन करने की सलाह दे चुका है। कहते हैं वायुमण्डल में ऑक्सीन बनने की प्रक्रिया एली यानी नील हरित शैवाल से ही संभव हुआ था, ऐसे में इसी शैवाल से बनी स्पिरूलीना अब मानव जीवन के लिये वरदान साबित हो रहा है।
इसी कड़ी में एक नाम आता है सी-बक्थोर्न का। यह हिमचाल और उत्तराखण्ड के पहाड़ों में पाया जाने वाला एक प्रकार का औषधीय पौधा है। इसमें ओमेगा, फटी एसिड के साथ-साथ एंण्टीऑक्सीडेंट्स की भरूपूर मात्रा होती है। दोस्तों ये दोनों ही औषधीय गुणों वाली आयुर्वेदिक मेडिसिन कोरोना काल में मानव जीवन के लिये बेहद अहम और उपयोगी साबित हो रही हैँ। आपको इसका सेवन जरूर करना चाहिये क्योंकि इसका कोई साइड-इफेक्ट नहीं होता और शरीर में किसी भी प्रकार परेशानी नहीं होने देता।
मुझे उम्मीद है कि आपको यह एपिशोड बेहद पसंद आया होगा। आपसे फिर मिलेंगे अगले कार्यक्रम में किसी और विषय के साथ…. तब तक के लिये नमस्कार….
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