अमन 'अदम्य' की लघुकथा 'शुभचिंतक'
अमन 'अदम्य' की लघुकथा 'शुभचिंतक'

अमन ‘अदम्य’ की लघुकथा ‘शुभचिंतक’

0 minutes, 1 second Read

गली के कोने पर बनी चाय की दुकान पर बैठे लोग चाय-सिगरेट के साथ बातों में मशगूल थे।

“इस ज़माने की हवा ही ख़राब है भाईसाहब। हमारे टाइम बात और थी। अभी देखना ये गुलाबी वाले घर की बहू को। गली पार होते ही घूँघट पीछे, मैडम आगे।” रवि ने बात छेड़ी।
“हमारी अम्मा ने कुछ सोच के ही कलकत्ते की बहू ढूंढी। एक गली में शादियाँ करने के ये हाल हैं। रोज़ टिफ़िन लेकर जो ग्यारह बजे निकलती हैं, आती होगी शाम तक। ख़ैर हमें क्या, हम तो अपने काम पर होते हैं”, सुरेश ने व्यंग्यात्मक तरीके से कहा।

“हाँ भैया हम भी देखे हैं, रोज़ जाती है भटकने। सासरे को लुटाओ, मैके को जिमाओ”, पानवाले ने भी चलती चर्चा में अपना मसालेदार जुमला जोड़ दिया।

बाकी बैठे व्यक्तियों में से एक ने अख़बार से नज़र उठा कर इन सभी की ओर मुख़ातिब होकर कहा, “मुझे नहीं मालूम था हमारे मुहल्ले में इतने शुभचिंतक हैं। जिनकी आप बात कर रहे हैं, वह मेरी पत्नी हैं, मालती। और चिंता मत कीजिये, अगले हफ़्ते से आप हमारे टिफ़िन से ज़्यादा ज़रूरी मुद्दों पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि मेरे सास ससुर अब से हमारे साथ हमारे घर में ही रहेंगे।”

अमन ‘अदम्य’
युवा लेखक, अजमेर

(amansethi0502@gmail.com)

अगर आप भी ‘ई-रेडियो इंडिया’ में कोई आलेख, समाचार या वीडियो न्यूज के लिए वीडियो भेजना चाहते हैं तो 9808899381 पर ह्वाट्सएप करें और info@eradioindia.com पर मेल करें। आप अपनी प्रतिक्रयाएं भी हमें भेज सकते हैं। हमें आपका इंतजार रहेगा।

/advt

author

News Desk

आप अपनी खबरें न्यूज डेस्क को eradioindia@gmail.com पर भेज सकते हैं। खबरें भेजने के बाद आप हमें 9808899381 पर सूचित अवश्य कर दें।

Similar Posts

error: Copyright: mail me to info@eradioindia.com