अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चीन को ललकारा

  • पहली बार किसी ने तिब्बत पर चीन के अवैध कब्जे पर दिया बयान
  • विदेश मंत्रालय की इसमें स्वीकृति है या नहीं, अभी तय नहीं

चीन को तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी लाल आंख नहीं दिखा पाते हैं। उन्होंने एक बार लाल आंख दिखाई तो फिर फटाफट उसके साथ समझौता भी कर लिया। भारत में भी कोई नेता चीन सीधे तौर पर चीन से भिड़ने की हिम्मत नहीं कर पाता है। यह हिम्मत अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने दिखाई है। पेमा खांडू ने चीन को लेकर वह कहा है, जो कहने की हिम्मत भारत का नेता पिछले 60 साल से नहीं कर रहे थे। खांडू ने कहा है कि भारत की सीमा तिब्बत से मिलती है, चीन से नहीं। यह सीधे चीन की अखंडता और उसकी संप्रभुता को चुनौती है। तभी खांडू के साहस को सैल्यूट किया जाना चाहिए।

अब सवाल है कि क्या खांडू ने अपनी तरफ से यह बयान दिया कि उनका बयान भारत के विदेश मंत्रालय से मंजूर हुआ है? क्योंकि यह बहुत बड़ा बयान है। पहली बार किसी ने तिब्बत पर चीन के अवैध कब्जे पर खुल कर बयान दिया है। अब तो दलाई लामा भी इस बारे में सोच समझ कर बोलते हैं। लेकिन कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे दोरजी खांडू के बेटे, जो अब भाजपा में हैं, ने सीधे चीन को चुनौती दी है।

वे इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने यह भी कहा कि अगला दलाई लामा चुनने का अधिकार सिर्फ मौजूदा दलाई लामा को है और चीन के इस मामले में बिल्कुल हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सोचें, इससे मिलती जुलती बात केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी कही थी और तब केंद्र सरकार को इस बयान से दूरी बनानी पड़ी थी। केंद्र सरकार ने कहा था कि भारत सरकार धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर बयान नहीं देती है। यह बयान इसलिए देना पड़ा क्योंकि चीन ने रिजिजू के बयान पर आपत्ति जताई थी। अब देखना होगा कि पेमा खांडू के बयान पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया होती है।

ध्यान रहे पेमा खांडू छह जुलाई को दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के मौके पर धर्मशाला गए थे और उनके साथ दो केंद्रीय मंत्री भी थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस दिन दलाई लामा को बधाई दी तो चीन ने उसका भी विरोध किया। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले तक प्रधानमंत्री मोदी जन्मदिन के मौके पर दलाई लामा को बधाई नहीं देते थे क्योंकि चीन के नाराज हो जाने का खतरा है। पिछले कुछ वर्षों से वे बधाई दे रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री दलाई लामा के जन्मदिन में शामिल हो रहे हैं और अब पेमा खांडू ने सीधे चीन की संप्रभुता पर सवाल उठाया है। उन्होंने तिब्बत को भारत का पड़ोसी बता कर चीन की दुखती रग पर हाथ रख दिया है। चीन को इस तरह का जवाब दिया जाना बहुत जरूरी था क्योंकि वह बार बार अरुणाचल प्रदेश के गांवों, कस्बों, पहाड़ियों, नदियों आदि के नाम बदल देता था। वह अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है और इसलिए उसके क्षेत्रों के नाम मैंडेरिन या तिब्बती भाषा में रखता है। यह भारत की संप्रभुता को चुनौती देना है। अब तक भारत चीन के ऐसे कदमों का बयान जारी करके विरोध करता था, लेकिन अब अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चीन को उसकी भाषा में जवाब देकर एक नए दौर की शुरुआत की है।