Arvind Kejriwal
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Arvind Kejriwal भ्रष्टाचारी हैं या नहीं, देखें तत्थ्य

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Arvind Kejriwal: भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़कर दिल्ली की सत्ता हासिल करने वाले आम आदमी पार्टी के मुखिया Arvind Kejriwal को प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी ने शराब घोटाला मामले में आठवीं बार समन भेजा है, लेकिन वे कोई न कोई कारण बताकर अब तक उसके सामनेे पेश नहीं हुए। अब उनका कहना है कि, ‘यदि अदालत उन्हें इस सम्बंध में आदेश देगी, तभी वे प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होंगे।

यद्यपि, यह समझना कठिन है कि इस तरह प्रवर्तन निदेशालय के बार बार समन भेजे जाने को नजरअंदाज़ करने के पीछे क्या सिर्फ खुद को बेदाग मानना है या फिर आंखमिचैली जैसा कोई खेल है, जिसमें अंततः उनसे पूछताछ तो होनी ही है। अरविंद केजरीवाल खुद कितने निष्कलंक हैं, आइये इस सम्बंध में जानने के लिए हम आपको आम आदमी पार्टी के गठन से लेकर सरकार बनने के बाद तक उनके साथ कंधा मिलाकर चलने वाले और बाद में पार्टी से नाता तोड़ लेने वाले कुछ नेताओं से रूबरू कराते हैं।

आम आदमी पार्टी के गठन के वक्त Arvind Kejriwal की अत्यंत नजदीकी रहीं और कुछ वर्षों तक उन्हें राखी बांधकर भाई बहन का रिश्ता निभाने वाली भाजपा की प्रवक्ता शाजिया इल्मी कहती हैं कि, ‘Arvind Kejriwal बहुत बड़े बहरूपिये हैं। केजरीवाल बात बात पर अपनी ही बात बदलते हैं। वे अपनी विचारधारा, अपने फलसफे को ही बदल देते हैं। अन्ना हजारे आंदोलन जब आम आदमी पार्टी में तब्दील हो रहा था।

उस वक्त मैं एक सिपाही की तरह उनके साथ काम कर रही थी। Arvind Kejriwal ने करोड़ों लोगों को झांसा दिया और बेवकूफ बनाया। अन्ना हजारे आंदोलन जब आप में तब्दील हो रहा था। उस समय केजरीवाल कहते थे, भ्रष्टाचार के विरोध में, पैसे के विरोध में, सत्ता नहीं, सत्ता का उपभोग नहीं होना चाहिए।’ बाद में पता चला कि सब नाटक था, ड्रामेबाजी थी। जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा था। पार्टी के अंदर Arvind Kejriwal और उनकी टीम के लोगों में सिर्फ सत्ता की भूख और झूठ पर झूठ नज़र आता था।

बाहर नारे लगाये जाते थे कि, ‘निकलो बाहर मकानों सेे, जंग लड़ो बेईमानों से।’ इसके विपरीत अंदर कहा जाता था कि, ‘यहां जाओ तो यह बात करो, वहां जाओ तो वह बात करो। गंगा गये गंगादास, जमुना गये जमुनादास। मुसलमानों में मुसलमानों के बदलाव की बात करो, हिंदुओं में जाओ तो हिंदुओं की बात करो। गरीबों के पास जाओ तो कहो एसी वाले ऐसे हैं, एसी वालों के पास जाओ तो कुछ और कह दो। मैंने उनका नाम नवाब नटवरलाल रखा है। उनकी कोई आइडियालाॅजी नहीं है। वे आज आईएसआई के साथ चले जायें, कल पीएफआई के साथ चले जायें, परसों चीनियों के साथ चले जायें, खालिस्तानियों के साथ चले जायें, अमेरिका के साथ चले जायें, रसिया के साथ चले जायें। वे केजरीवाल कुछ भी कर सकते हैं।’

आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक तथा दिल्ली में पार्टी की सरकार में मंत्री के रूप में शामिल रहे भाजपा नेता कपिल मिश्रा कहते हैं कि, ‘मुझे संतोष है कि मैंने मई सन् 2017 में कहा था कि सतेंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल जेल जायेंगे। इनमें से सतेंद्र जैन और मनीष सिसोदिया आज जेल में हैं। केजरीवाल भी जल्दी ही जेल जायेंगे।’

Arvind Kejriwal के बंगले पर क्या बोले कपिल मिश्रा

Arvind Kejriwal के 45 करोड़ रुपये के बंगले पर तंज कसते हुए कपिल मिश्रा कहते हैं कि, ‘केजरीवाल का बंगला बता रहा है कि यह व्यक्ति कितना भ्रष्ट है। यह देखना है तो केजरीवाल का बंगला एक घंटे के लिए जनता और मीडिया के लिए खोल दिया जाये तो उनका भ्रष्टाचार इस अवैध बंगले की दीवारों से चीख चीख कर बोलेगा।’ उन्होंने कहा कि, ‘हम किन बातों को लेकर सरकार में आये थे। उस समय कहा गया था कि भ्रष्टाचार नहीं करना, जनता से पूछकर काम करना।

मैंने देखा कि मंत्री संतेंद्र जैन की सगी बेटी का अपाइंटमेंट मंत्री सतेंद्र जैन के दफ्तर में किया जा रहा था, तब मैंने पार्टी में इसके खिलाफ आवाज उठाई। मैंने पार्टी के भीतर तीन चार मुद्दे उठाये थे। सबसे पहला था मंत्री सतेंद्र जैन के हवाला के मामले में भ्रष्टाचार का, पार्टी के चंदे का। हमें कहा गया था कि पार्टी का चंदा पारदर्शी होगा तथा वेबसाइट पर दिखाई देगा, लेकिन वेबसाइट से चंदे के डिटेल हटा लिये गये। पांच अप्रैल 2014 को आम आदमी पार्टी के खाते में चार सेल यानि नकली कंपनियों से दो करोड़ रुपये आये थे।

इन कंपनियों ने कभी ट्रांजेक्शन नहीं किया। उन्होंने Arvind Kejriwal को क्यों दिये दो करोड़ रुपये..? ये पैसे कहां से आये..? इस बारे में आज तक किसी को पता नहीं चला। इसके अलावा मैंने आम आदमी पार्टी के नेताओं की विदेश यात्रा के बारे में आवाज उठाई थी। संजय सिंह और आशुतोष रसिया क्यों गये..? जर्मनी में एक महीने रहकर क्यों आये थे। राघव चड्ढा कनाडा क्यों गये थे..? आम आदमी पार्टी के नेताओं की खालिस्तान के अड्डों वाली जगहों पर जो यात्रा हुई, वह कितने दिन हुई, वहां किसके साथ रुके.. ? ये मुद्दे मैंने केजरीवाल के सामने उठाये थे। इन सवालों के जवाब आज तक जनता को नहीं मिले।’

कपिल मिश्रा कहते हैं कि, ‘Arvind Kejriwal बदले नहीं हैं, बल्कि वे फ्राड हैं। पहले वे सतेंद्र जैन को ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे रहे थे, वे आज जेल में हैं। फिर वे मनीष सिसोदिया को ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे रहे थे और उन्हें भारत रत्न देने की बात कह रहे थे। आज मनीष सिसोदिया जेल में हैं और अब वे खुद को ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे रहे हैं।’ केजरीवाल की शख्सियत पर तंज कसते हुए वे कहते हैं, ‘ पांच रुपये का पेन और ढाई सौ रुपये की टूटी चप्पल और घर में एक करोड़ रुपये का टीवी। चार चार लाख के कमोड। उनके मन में चोर था और चेहरे पर नकाब था और अब नकाब उठ गया है। आदमी बदला नहीं है, आदमी फ्राड है।’

ईडी के समक्ष जाने से क्यों घबरा रहे Arvind Kejriwal

यदि आप सुप्रीमो Arvind Kejriwal को लगता है कि ईडी उन्हें बिना किसी ठोस आधार के बुला रहा है तो समूचे मामले को पारदर्शी ढंग से उसके सामने रख देने में वे क्यों हिचक रहे हैं। मान लीजिए कि निकट भविष्य में कोर्ट उन्हें प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने का आॅर्डर दे दे तो उनका मौजूदा रवैया किस तरह देखा जायेगा..?

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने 2021-22 में जिन शराब कारोबारियों को लाइसेंस दिये थे, उन पर इसके लिए घूस देने का आरोप है। मनपसंद कारोबारियों को लाइसेंस जारी किये गये। यद्यपि, आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को गलत बताया है, परंतु पार्टी के दिग्गज नेता और मंत्री मनीष सिसोदिया इस मामले में ऐसे ही आरोपों में पूछताछ के बाद जेल में हैं और मुकदमे का सामना कर रहे हैं तो इसके पीछे कोई न कोई ठोस आधार तो होगा ही।

शायद इसीलिए Arvind Kejriwal को दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री के रूप में सबसे महत्वपूर्ण पद पर होने के कारण प्रवर्तन निदेशालय उन्हें पूछताछ के लिए पेश होने को कह रहा है। अगर अरविंद केजरीवाल को लगता है कि इस मामले में वे पूरी तरह बेदाग हैं तो पूछताछ से बचने के बजाय वे सारे मामले को पारदर्शी तरीके से सामने रख सकते हैं। ज्ञातव्य है कि अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने, आरोपों पर जवाब देने और पारदर्शिता बरतने की मांग को लेकर सत्ता में आये थे। इसलिए अब खुद उनसे ही भ्रष्टाचार के आरोपों पर पारदर्शिता बरतने और स्पष्टवादिता की उम्मीद की जा रही है तो इसमें गलत क्या है..?

स्त्रोत: आइमा मीडिया

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पत्रकारिता में बेदाग 11 वर्षों का सफर करने वाले युवा पत्रकार त्रिनाथ मिश्र ई-रेडियो इंडिया के एडिटर हैं। उन्होंने समाज व शासन-प्रशासन के बीच मधुर संबंध स्थापित करने व मजबूती के साथ आवाज बुलंद करने के लिये ई-रेडियो इंडिया का गठन किया है।

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