Banarasi Das Chaturvedi Biography: जानें महत्वपूर्ण जानकारी

Banarasi Das Chaturvedi Biography: बनारसीदास चतुर्वेदी जन्म- 24 दिसम्बर, 1892, फ़िरोजाबाद; मृत्यु- 2 मई, 1985 प्रसिद्ध पत्रकार और शहीदों की स्मृति में साहित्य प्रकाशन के प्रेरणास्त्रोत थे। उनकी गणना अग्रगण्य पत्रकारों और साहित्यकारों में की जाती है। यद्यपि हिन्दी साहित्य के प्रति अनुराग और लेखक की अभिरुचि के लक्षण उनमें पत्रकार बनने से पहले ही दिखाई दे चुके थे। सन 1914 से ही वे प्रवासी भारतीयों की समस्याओं पर लिखने लगे थे। बनारसीदास बारह वर्ष तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे थे। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1973 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया।

बनारसीदास चतुर्वेदी का जन्म तथा शिक्षा कहा से ली थी-

बनारसीदास चतुर्वेदी का जन्म 24 दिसम्बर, 1892 को फ़िरोजाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1913 में अपनी इंटर की परीक्षा पास की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक फर्रूखाबाद के हाईस्कूल में अध्यापन कार्य किया। फिर इंदौर के डेली कॉलेज में अध्यापक बन गए। उस समय डॉ. सम्पूर्णानंद भी वहाँ अध्यापक थे। उन्हीं दिनों इंदौर में गांधी जी की अध्यक्षता में हिन्दी साहित्य सम्मेलन का वार्षिक अधिवेशन हुआ। तभी बनारसीदास चतुर्वेदी जी को गांधी जी तथा प्रमुख साहित्यकारों के संपर्क में आने का अवसर मिला। पत्रकार के रूप में वे गणेश शंकर विद्यार्थी को अपना आदर्श मानते थे।

मुख्य कृतियाँ-

प्रवासी भारतवासी, फिजी की समस्या, फिजी में भारतीय, रेखाचित्र, संस्मरण, हमारे आराध्य, विश्व की विभूतियाँ, यहाँ पुरुषों की खोज में, साहित्य सौरभ, साहित्य और जीवनी, कविरत्न : सत्य नारायण की जीवनी, आत्मकथा : रामप्रसाद बिस्मिल रूस की साहित्यिक यात्रा, सेतु बांध, हृदय तरंग

संपादन : अभ्युदय, विशाल भारत, मधुकर, विंध्यवाणी, फिजी द्वीप में मेरे 21 वर्ष (श्री तोताराम के साथ मिलकर सह संपादन)

Banarasi Das Chaturvedi Bio in Hindi || लेखक बनारसीदास चतुर्वेदी
Banarasi Das Chaturvedi Bio in Hindi || लेखक बनारसीदास चतुर्वेदी

पत्रकारिता-

बनारसीदास जी का पत्रकारिता जीवन ‘विशाल भारत’ के सम्पादन से आरम्भ हुआ। स्वर्गीय रामानन्द चटर्जी, जो ‘मॉडर्न रिव्यू’ और ‘विशाल भारत’ के मालिक थे, वे बनारसीदास जी की सेवा भावना और लगन से बहुत प्रभावित थे। कलकत्ता में रहते हुए उनका प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं से परिचय हुआ था। प्रवासी भारतीयों की समस्या में इनकी विशेष दिलचस्पी पहले से ही थी। इसके कारण ही महात्मा गांधी, सी. एफ़. एंड्रूज और श्रीनिवास शास्त्री के ये कृपापात्र बन गए थे।

इन महानुभावों का प्रवासी भारतीयों की समस्या से विशेष सम्बन्ध था। बनारसीदास चतुर्वेदी जी सी. एफ. एड्रूज के साथ ‘शांतिनिकेतन’ चले गए। फिर वहाँ से गांधी जी के कहने पर ‘गुजरात विद्यापीठ’ के अध्यापक बन कर अहमदाबाद पहुँचे। वहाँ भी अधिक दिनों तक नहीं टिके। उन्होंने 1920 में अध्यापक कार्य त्याग दिया। बनारसीदास जी ने ‘विशाल भारत’ को एक साहित्यिक और सामान्य जानकारी से परिपूर्ण मासिक पत्रिका बना दिया। इसके स्तम्भों में प्राय: सभी प्रमुख लेखकों की रचनाएँ प्रकाशित होती थीं।

मर्यादा पत्रिका-

मर्यादा पत्रिका का पहला अंक नवम्बर सन 1910 ई० में कृष्णकान्त मालवीय ने ‘अभ्युदय’ कार्यालय प्रयाग से इसे प्रकाशित हुआ था। इसके प्रथम अंक का प्रथम लेख ‘मर्यादा’ शीर्षक से पुरुषोत्तमदास टण्डन ने लिखा। 10 वर्षों तक इस पत्रिका को प्रयाग से निकालने के बाद कृष्णकान्त मालवीय ने इसका प्रकाशन ज्ञानमण्डल काशी को सौंप दिया। सन 1921 ई० से श्री शिवप्रसाद गुप्त कस संचालन में और सम्पूर्णानन्द जी के संपादकत्व में “मर्यादा” ज्ञानमण्डल से प्रकाशित हुई।

असहयोग आन्दोलन में उनके जेल चले जाने पर धनपत राय प्रेमचन्द स्थानापन्न संपादक हुए। पत्रिका का वार्षिक मूल्य 4 रुपए तथा एक प्रति का 2 आना था। इसका आकार 10 * 7 था। मर्यादा अपने समय की सर्वश्रेष्ट मासिक पत्रिका थी। प्रेमचन्द की आरम्भिक कहानियाँ इसमें प्रकाशित हुईं। सन 1923 ई० में यह पत्रिका अनिवार्य कारणों से बन्द हो गई। इसका अन्तिम अंक प्रवासी विशेषांक के रूप में बनारसीदास चतुर्वेदी के सम्पादन में निकला, जो अपनी विशिष्ट लेख सामग्री के कारण ऍतिहासिक महत्त्व रखता है।