- निजी कारोबार को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों और नीतियों की धज्जियां उड़ाई
- उचित कार्यवाही करके राज्य के खजाने के एक-एक पैसे की वसूली की जायेगी
चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बादल परिवार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आरोप लगाया है कि अकाली-भाजपा गठजोड़ सरकार ने सुख विलास होटल के निर्माण के लिए हर नियमों और नीतियों की धज्जियां उड़ाई। अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल के पक्ष में नियमों को तोड़ा गया।
चंडीगढ़ में गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि अकाली-भाजपा सरकार 2009 में इको- टूरिज़्म नीति लेकर लाई, जिसका एकमात्र उद्देश्य इस होटल के निर्माण में मदद करना था। उन्होंने कहा कि यह कितनी आश्चर्यजनक बात है कि एक पोल्ट्री फार्म को एक रिजोर्ट में तब्दील कर दिया गया और टैक्सों के रूप में इस रिज़ोर्ट के 108 करोड़ रुपये माफ करके राज्य के ख़जाने को नुकसान पहुंचाया। भगवंत सिंह मान ने कहा कि गांव पल्लनपुर में बने इस रिज़ोर्ट का असली नाम मेट्रो इको ग्रीन रिजोर्ट है, जिसको बाद में सुख विलास का नाम दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मार्च 2009 में 7.20 एकड़ ज़मीन को पीएलपीए एक्ट से छूट दी गई और इसके अंतर्गत सिर्फ़ दो कंपनियों को मंज़ूरी मिली। उन्होंने कहा कि बादल परिवार ने अपनी दो कंपनियों के नाम पर 21 एकड़ ज़मीन ख़रीदी, जिसे बाद में अपनी ही एक अन्य कंपनी में तब्दील कर दी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस कंपनी के 183, 225 शेयरों का मालिक सुखबीर सिंह बादल है, जबकि हरसिमरत बादल और डब्बवाली ट्रांसपोर्ट कंपनी के नाम पर भी इस कंपनी में काफ़ी शेयर हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने इस रिजोर्ट का 10 सालों के लिए एसजीएसटी और वेट का 75-75 प्रतिशत हिस्सा माफ कर दिया। उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत एसजीएसटी और वैट के कुल 85 करोड़ रुपये माफ किये गए। इसके अलावा 10 सालों के लिए 100 प्रतिशत बिजली ड्यूटी भी माफ की गई, जो 11.44 करोड़ रुपये बनती है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यही नहीं, इस रिजोर्ट का 11 करोड़ रुपये का लग्जरी टैक्स और लाइसेंस फीस भी माफ की गयी, जिससे राज्य के ख़जाने को बड़ा नुकसान पहुंचा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस रिज़ोर्ट के लिए टैक्सों के रूप में 108.73 करोड़ रुपये माफ किये गए और यह सारा पैसा बादल परिवार के निजी हितों के लिए इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि इस पैसे का प्रयोग राज्य सरकार लोगों की भलाई के लिए कर सकती थी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह भी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि 2009 में लाई गई इस नीति का लाभ किसी अन्य कंपनी को नहीं दिया गया, बल्कि इसका प्रयोग बादल परिवार ने सिर्फ़ अपने निजी लाभ के लिए किया।
भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस रिज़ोर्ट के लिए वन विभाग के दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन किया गया। इस रिजोर्ट का 11 मई, 2015 से 10 मई, 2025 तक के समय का टैक्स माफ किया गया। उन्होंने आगे बताया कि इस रिजोर्ट की मालिक कंपनी में हरसिमरत कौर बादल के नाम पर 81,500 शेयर और बादल परिवार की ही मालिकाना हक़ वाली डब्बवाली ट्रांसपोर्ट कंपनी के नाम पर 5350 शेयर हैं। भगवंत सिंह मान ने ऐलान किया कि राज्य के खजाने के एक-एक पैसे की वसूली की जायेगी और इस सम्बन्ध में उचित कार्यवाही की जायेगी।