हरियाणा में विधानसभा चुनाव काफी हद तक जातियों के समीकरणों पर निर्भर करता है। हर पार्टी अपने वोट बैंक के हिसाब से जातियों के प्रत्याशी उतारती है। भाजपा का जोर इस बार ओबीसी मतदाताओं पर है। पहले ओबीसी के कोटे से सीएम नायब सिंह सैनी को नियुक्त किया और अब टिकटों की भागीदारी में उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाया है। दस साल में भाजपा ने ओबीसी जाति के उम्मीदवारों में 33 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इस बार भाजपा ने ओबीसी के 20 उम्मीदवार उतारे हैं। 2014 में भाजपा ने 15 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया था।
वहीं, 2014 की तुलना में इस बार भाजपा ने जाट समाज के टिकटों में 33 फीसदी की कटौती की है। 2014 में पार्टी ने 24 जाट प्रत्याशी उतारे थे। 2019 में इनकी संख्या घटाकर 19 और 2024 में 16 जाट नेताओं को प्रत्याशी बनाया है। इस बार भाजपा ने जिन सीटों पर जाटों के टिकट काटे हैं, वहां से ओबीसी और ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने मौजूदा विधानसभा चुनाव में 16 जाट, 20 ओबीसी (7 अहीर, 6 गुर्जर, 7 अन्य पिछड़ी जाति), 1 जट सिख, 2 बिश्नोई, 5 वैश्य, 11 ब्राह्मण, 11 पंजाबी, 3 राजपूत, 2 रोड़, 2 मुस्लिम और अनुसूचित जाति के 17 उम्मीदवार बनाए हैं।
पिछले चुनाव यानी 2019 में 19 जाट, एक जट सिख, नौ पंजाबी, आठ वैश्य, आठ ब्राह्मण, छह अहीर, छह गुर्जर, दो मेव, चार राजपूत, दो रोड़ और अन्य पिछड़ा वर्ग में छह नेताओं को उम्मीदवार घोषित किया था। वहीं, 2014 में 24 जाट, एक सिख जट, नौ पंजाबी, आठ वैश्य, नौ ब्राह्मण, छह अहीर, चार गुर्जर, दो मेव, दो रोड़, तीन राजपूत और अन्य पिछड़ा वर्ग के पांच नेताओं को उम्मीदवार बनाया गया था। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के केवल छह जाट उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे थे। वहीं, 2019 में तीन जाट उम्मीदवार जीते। भाजपा ने इस बार 61 सीटों पर उम्मीदवार बदले हैं। इनमें से अधिकतर वे सीटे हैं, जिन पर भाजपा पिछली बार हार गई थी। 39 सीटों पर नए चेहरे पर भाजपा ने दांव खेला है।
भाजपा ने इस बार वैश्य बिरादरी के टिकटों में कटौती की है। भाजपा ने मौजूदा चुनाव में वैश्य बिरादरी से पांच प्रत्याशी उतारे हैं। पिछले दो चुनावों में वैश्य को आठ टिकट दिए गए थे। पार्टी ने ब्राह्मण-पंजाबियों के टिकटों का कोटा बढ़ाया है। 2014 में पंजाबी और ब्राह्मण समाज के 9-9 उम्मीदवार बनाए गए थे। इस बार उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाकर 11-11 किया गया है।