चंद्रशेखर रावण ने सीओ को क्यों धमकाया?

दोस्तों राजनीति में वही व्यक्ति सफलता हासिल कर सकता है जिसमें इतनी निर्भीकता और जोश हो कि वो अपने दम पर शासन व सत्ता को ठिठक कर सोचने पर मजबूर कर सके… देश में हजारों उदाहरण हैं जब किसी उभरते हुये जन प्रतिनिधि काे हर ओर से दबाने का प्रयास किया गया है… आज हम बात करेंगे ऐसे ही एक शख्स की… जो आजकल जातिगत राजनीति में अपने कद को इतना बड़ा कर लिया कर लिया है कि उसके पीछे लाखों की भीड़ कुछ भी करने को बेताब रहती है…

आज ‘Opinion’ में बात होगी चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण की…

उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद और आजाद समाज पार्टी चीफ चंद्रशेखर आजाद दलित राजनीति के बल पर प्रदेश में राष्ट्रीय नेताओं के कतार में स्वयं को स्थापित कर लिया है… उनके काफिले पर मथुरा में पिछले दिनों हमला हुआ है।

दर्जनों अज्ञात लोगों ने मथुरा के रिफाइनरी इलाके में पथराव किया है. पथराव इतना ज्यादा था कि काफिले की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों और आजाद समाज पार्टी कार्यकर्ताओं को चंद्रशेखर की गाड़ी को घेरकर उनका बचाव करना पड़ा है. इस हमले में काफिले में शामिल करीब आधा दर्जन लोग घायल हो गए हैं. चंद्रशेखर आजाद हमले के समय उन दलित बेटियों से मिलने जा रहे थे, जिनके मुंह पर कुछ दिन पहले गांव के दबंगों ने बारात आने से पहले कीचड़ मल दी थी और बारातियों को भी पीटकर भगा दिया था. इस घटना में दबंगों की गिरफ्तारी के बाद से इलाके में जातीय तनाव फैला हुआ है…

चंद्रशेखर आजाद शुक्रवार को मथुरा के सिर्रेला से भगत नगरिया के लिए निकले थे. रास्ते में सुरीर से पहले स्वतंत्रता सेनानी द्वार है. इसके पास ही उनके काफिले पर पथराव शुरू कर दिया गया. इससे काफिले में शामिल कई लोग घायल हो गए. पुलिस ने पथराव करने वालों में से कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया. इसके बाद चंद्रशेखर ने करीब ही मौजूद आंबेडकर पार्क में धरना शुरू कर दिया. उन्होंने पीड़ित दलित दुल्हनों को भी वहीं पर बुला लिया. उन्होंने दोनों दलित बेटियों और उनके परिवारों को न्याय दिलवाने का आश्वासन दिया. इस दौरान पथराव की सूचना पर पहुंची कई थानों की पुलिस चंद्रशेखर की सुरक्षा में लगी रही…

इस दौरान चंद्रशेखर आजाद की वो वीडियो भी देखिये जिसमें वो पुलिस वालों से रौद्र रूप में बात करते हुये देखे जा रहे हैं…

मेरा सवाल है कि इतना तीखापन, गर्माहट और आत्मबल कैसे मिल रहा है? कभी सोचा है आपने?

आप इसे किस नजरिये से देखते हैं ये तो आपका विषय है लेकिन मेरी नजर में यह एक ऐसे राजनेता का गुण है जो न तो सीडी कांड में फंस सकता है, न ही काली कमाई में… यह मजबूती है साफ व बेदाग होने का निर्मूल प्रमाण…

जो आजकल के नेताओं में दिखाई नहीं देता… जो पुलिस कर्मी मजलूम, पीड़ितों और गरीबों की आवाजों को नहीं सुन सकते… खुलेआम भ्रष्टाचार करते हैं… और शिकायत करने पर आंखे तरेरते हैं उनके लिये चंद्रशेखर रावण एक नजीर हैं…

यदि आपका नेता मजबूत, बेदाग और शिक्षित होगा तो वो आपके दिये गये टैक्स से प्रतिमाह मोटी सेलरी लेने वाले इन अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों और उनके असली स्टेटस से उन्हें रूबरू कराता रहेगा…

जिस तरह से चंद्रशेखर आजाद की विभिन्न जनपदों में भ्रमण के दौरान पुलिसकर्मियों, अधिकारियों से तीखी नोकझोक की वीडियो सामने आती है उसे देखकर कम से कम मन में एक उम्मीद रहती है कि कास… यही जुनून हमारे अन्य नेताओं में होता तो हम अब तक कितना आगे निकल गये होते…

चंद्रशेखर आजाद जातिगत राजनीति करते हैं और इस जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन भी करते हैं… हालाकि इसका मतलब ये नहीं है कि चंद्रशेखर आजाद का एटीट्यूड हर समय ठीक होता है…

बहरहाल जीवन का कोई रूल नहीं है… जो हो रहा है वो भी ठीक है… जो नहीं हो पा रहा है वो भी ठीक है… इंसान को परमात्मा ने दिमाग दिया है… समय के अनुसार… जो भी उचित हो वही करना सर्वश्रेष्ठ और विधि सम्मत है…