- राष्ट्रपति द्रौपदी ने कहा 40 हजार ब्रह्माकुमारी बहनें भारत की सनातन संस्कृति आध्यात्म को दुनिया के 140 देशों में आगे बढ़ा रही हैं
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया राष्ट्रीय मूल्यनिष्ठ समाज की नींव महिलाएं अभियान का शुभारंभ, पारिवारिक सशक्तिकरण अभियान का भी किया शुभारंभ
- हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी रहे मौजूद
- सम्मेलन में चार हजार से अधिक महिलाएं सहित कई देशों के राजदूत भी रहे मौजूद
अर्चना सिंह, नई दिल्ली
भौराकलां/गुरुग्राम/हरियाणा। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के भौराकलां स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में मूल्यनिष्ठ समाज की नींव महिलाएं राष्ट्रीय अभियान का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आह्नान किया कि माताएं अपने बेटे को डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक बनाने के पहले एक अच्छा इंसान बनाएं। हर मां को यह संकल्प करना चाहिए। अच्छा इंसान बनना आज समय की जरूरत है। कितनी भी भौतिक सुख-सुविधाएं, पैसा कमा लें लेकिन यदि जीवन में सुख-शांति, आनंद, प्रेम, सुख और पवित्रता नहीं तो सब व्यर्थ है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि परमात्मा ने हमें दो रास्ते दिए हैं एक है काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, द्वेष, ईष्र्या, नफरत का और दूसरा है सुख-शांति, आनंद, प्रेम, पवित्रता का। अब हमें तय करना है कि हम किस रास्ते को चुनना चाहते हैं। बता दें कि सम्मेलन के दौरान जब अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल वक्ता बीके शिवानी दीदी ने राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराया तो कुछ पल के लिए राष्ट्रपति अंतध्र्यान हो गईं। मंच पर आने के पूर्व उन्होंने मेडिटेशन रूम में भी कुछ देर तक ध्यान किया। राष्ट्रपति ने दीप प्रज्जवलित कर अभियान का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में चार हजार से अधिक महिलाएं सहित कई देशों के राजदूत और अपने-अपने क्षेत्रों की जानी-मानीं हस्तियां मौजूद रहीं।
मैं इसे अपना घर, बाबा का घर समझती हूं
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि मैं ब्रह्माकुमारीज संस्थान को बहुत करीब से जानती हूं। मैं इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय को मैं अपना घर, बाबा का घर समझती हूं। उन्होंने माउंट आबू का जिक्र करते हुए कहा कि साल की शुरुआत में ही वहां जाने का मौका मिला, वहां मुझे असीम ऊर्जा और शांति की अनुभूति हुई। हमारे वेदों, उपनिषदों, पुराणों और महाकाव्य में महिलाओं की स्तुति शक्ति, करुणा और ज्ञान के स्त्रोतों के रूप में की गई है।
हमें संस्कृति ने माता पार्वती, मां दुर्गा, माता सरस्वती, मां काली, मां लक्ष्मी का जीवन नैतिकता के संरक्षण के रूप में देखा गया है। इसी तरह मीराबाई, माधवी दासी जैसी नारियों को आध्यात्मिक शक्ति के रूप में पहचाना और सम्मानित किया जाता है। ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जहां नारी ने अपनी बुद्धि, शक्ति और क्षमता से समाज में सम्मान प्राप्त किया है। महिला कैसे अपनी शक्ति से पुरुष के जीवन में प्रभाव छोड़ सकती है, इसका उदाहरण राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी हैं। गांधीजी की प्रेरणास्त्रोत उनकी पत्नी कस्तूरबा थीं। इसका उल्लेख उन्होंने कई बार किया है। उन्होंने अहिंसा का पाठ पत्नी से सीखा। आध्यात्मिक जीवन से दिव्य शांति और आनंद के द्वार खुलते हैं। इस शांति और आनंद की खोज माताएं अपनी परिवार में शुरू करें।
ब्रह्माकुमारीज ने मूल्यों को नारी शक्ति के केंद्र में रखा
राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्था ने मूल्यों को नारी शक्ति के केंद्र में रखा है। आज यह संस्थान नारी शक्ति द्वारा संचालित विश्व का सबसे बड़ा संस्थान है। ब्रह्मा बाबा ने आज से 90 वर्ष पूर्व ही नारी की शक्ति और सामथ्र्य के लिए उचित स्थान दिया था। संस्थान की 40 हजार से अधिक बहनें दुनिया के 140 देशों में भारत की सनातन संस्कृति आध्यात्म को आगे बढ़ा रही हैं। महिलाओं को जब भी अवसर मिला है तो उन्होंने सिद्ध किया है कि वह पुरुषों से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं। गांधीवादी इलाबेन भट्ट ने अपने सेवा संस्थान और जसबंती बने ने लिज्जत पापड़ नामक उद्यम की सहायता से अनेक महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने में मदद की है। कात्यामनी अम्मा ने 90 वर्ष की आयु में साक्षरता प्राप्त कर महिलाओं के धैर्य और संकल्प की एक नई परिभाषा पेश की है।
धर्मग्रंथों में भी की गई है नारी की महिमा: राज्यपाल
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भारत की संस्कृति और सभ्यता को दुनियाभर में फैलाने में ब्रह्माकुमारीज संस्थान का बड़ा योगदान है। समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना में महिलाओं की भूमिका अहम है। नारियों की प्रशंसा हमारे धर्मग्रंथों में भी की गई है। हमारी राष्ट्रपति भी आदर्शों की प्रतिमूर्ति हैं। आपका जीवन तपस्यामय है। आज महिलाओं को शिक्षित और स्वाबलंबी होने की आवश्यकता है। आज बेटियां सेना से लेकर हर क्षेत्र में अपनी प्रतिक्षा दिखा रही हैं। हम कितना भी पैसा कमा लें यदि मन शांत नहीं है तो ऐसा व्यक्ति सदाचारी नहीं बन सकता है। ब्रह्माकुमारी समाज ऐसी नारियों को तैयार करके विश्व में शांति फैलाने में लगा हुआ है।
बीके शिवानी दीदी ने कराया मेडिटेशन
प्रेरक वक्ता बीके शिवानी दीदी ने मेडिटेशन का अभ्यास कराते हुए कहा कि रोज अभ्यास करें कि मैं सर्वशक्तिमान परमात्मा की संतान एक शक्तिशाली आत्मा हूं। मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूं। मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं। मैं स्वर्णिम भारत और स्वर्णिम दुनिया का निर्माण करने वाली मैं आत्मा शिव की शक्ति हूं, मैं शिव की शक्ति हूं।
इन्होंने भी व्यक्त किए विचार-
- न्यूयार्क से पधारीं संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका और ब्रह्माकुमारीज का यूएनओ में प्रतिनिधित्व करने वालीं बीके मोहिनी दीदी ने कहा कि 1982 में यूनाइटेड नेशन में संस्थान को शांति के लिए कार्य करने पर आमंत्रित किया गया। शांति और युद्ध दोनों तरह के विचार मन में ही आते हैं। हमारी मनोवस्था ही तय करती है कि हम कैसा निर्णय लेते हैं।
- संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि भगवान महिलाओं के द्वारा भारत और पूरे विश्व को पुन: शक्तिशाली, संपन्न और स्वर्णिम भारत बनाने के लिए उनके सिर पर कलश रखा है।
झलकियां-
- राष्ट्रगान के साथ सम्मेलन की शुरुआत हुई।
- राष्ट्रपति ने माउंट आबू से पहुंची महिला विंग की मुख्यालय संयोजिका बीके डॉ. सविता दीदी और बीके शारदा दीदी को कलश सौंपा। साथ ही शिव ध्वज फहराकर अभिवादन किया।
- कार्यक्रम के पूर्व महिला विषय पर टॉक शो आयोजित किया गया।
- संचालन ओआरसी की निदेशिका बीके आशा दीदी ने किया।