- शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
Fauzi Om Prakash Pal: भगवान शिव की नगरी व भारतीय विद्रोह के नेता तात्या टोपे की समाधि स्थल और खेड़ापति हनुमान का मंदिर इस शहर की शान है। बात बात पर यहां के लोग भगवान शिव और तात्या टोपे की गाथाओं का बखान करने से थकते नहीं है। इसके अलावा एक नाम और है जिसका नाम यहां के लोग बड़े शान से लेते हैं। वह नाम है “फौजी ओम प्रकाश पाल” का।
शिवपुरी के नामी न्यूरोलॉजिस्ट ओम प्रकाश पाल के पास एैसे मरीजों को भेज देते हैं जिनकी जेब में इलाज को पैसे नहीं होते हैं। वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताते हुए कहा कि नसों की दर्द से पीड़ित मरीज का इलाज एलोपैथिक में बहुत महंगा है। आम आदमी के इलाज की बस की बात नहीं है। क्योंकि एक्सरा और सीटी स्कैन व दवा आदि में काफी खर्च होता है। गरीब और सामान्य आदमी इलाज नहीं कर पाता है। उनके लिए वह खुद ओमप्रकाश पाल के पास रेफर कर देते हैं। ओम प्रकाश पाल आइटीबीपी से रिटायर्ड है। वह नसों का इलाज बिना दवा के करते हैं। उनकी अपनी इलाज करने की विधा है।
ओम प्रकाश खेड़ापति हनुमान जी के मंदिर के पास सामान्य घर में रहते हैं। उनके यहां लोग लदके आते हैं और अपने पैरों से चलकर जाते हैं। फौजी पाल की पेंशन के अलावा उन्होंने छोटी सी दुकान खोल रखी है, जिसमें साबुन चाय बिस्कुट आदि बेचते हैं। पूरे दिन में 500 की बिक्री हो जाए तो बहुत बड़ी बात है।
65 वर्षीय ओम प्रकाश पाल के यहां सुबह 6:00 से नसों के मर्ज से पीड़ित मरीजों का तांता लगता है, सर्वाइकल, सायटिका के अलावा कमर पैर में होने वाले नसों के दर्द को मात्र 05 मिनट दूर कर देते हैं। खाने पीने की दवा और तेल आदि से मालिश का कोई उनसे वास्ता नहीं है। सुबह 9:00 बजे तक वह मरीज को देखते हैं किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लेते हैं। खुशी से मरीज भंडारे के लिए उसे दान दक्षिणा देना चाहे तो उसके लिए उन्होंने एक अलग से डिब्बा रखा हुआ है।
भौराना (शिवपुरी ) निवासी धर्मेंद्र सिंह राजावत बताते हैं कि वह कमर दर्द के कारण चल फिर नहीं पाते थे, मात्र तीन सिटिंग में वह 100 मीटर की रेस के लिए अपने को सक्षम पाता हू। शिवपुरी की हसीना बेगम 45 ने बताया कि वह दो महीने से वह झुक नहीं पा रही थी, मात्र एक सिटिंग में पानी से भरी बाल्टी टंकी से अपने घर तक लेकर जाती है।
बैराड़ के 28 वर्ष के प्रीतम बताते हैं कि उनका सीधा हाथ पिछले दो महीने से ऊपर नहीं उठ रहा था, फौजी ओम प्रकाश का हाथ लगते ही, खेतों में फावड़ा चला रहे हैं। वीरेंद्र सिंह यादव की पुत्रवधू जो एक टाइम की रोटी नहीं बेल पा रही थी, आज घर के 10 सदस्यों की रोटी बना रही हैं।
फौजी ओम प्रकाश बताते हैं कि वह 2002 में आइटीबीपी से रिटायर हुए, दीन दुखियों का अपने घर पर भला कर रहे हैं। वह बताते हैं कि अपनी नौकरी के दौरान जवानों को पहाड़ों में नसों में दर्द होता था तो वह नसों के डॉक्टरों और कुछ अनुभवी द्वारा किए जाने वाले इलाज को देखते थे।
उन्होंने धीरे-धीरे नसों की तकलीफ हो को दूर करने के लिए वहां तैनात अपने सीनियर साथियों से कुछ सीखा। ईश्वर की ऐसी कृपा हुई आज वह हजारों की संख्या में मरीज को ठीक कर चुके हैं।
उनका कहना है कि मां काली कृपा से लोगों को अपने घर से मुस्कुराते हुए भेजते हैं। उनके पास ज्यादातर वह मरीज आते हैं जिनके पास भंडारे में देने को भी रुपया, दो रुपया, 10 रुपये ही होते हैं। गरीबों और सामान्य लोगों का इलाज करने में उन्हें बहुत आत्म शांति मिलती है।
उन्हें यह विधा मां दुर्गा की कृपा और हनुमान जी चरणों में सेवा से मिली है। परिवार चलाने के लिए उनको पेंशन मिलती है। समय पास करने के लिए उन्होंने छोटी सी दुकान खोल रखी है। दुकान में 1000 रुपये का भी समान नहीं है। सुबह 9:00 बजे के बाद वह अपने शुभचिंतकों मित्रों के साथ दरबार लगाते हैं। जिसमें सिर्फ ज्ञान ध्यान पर चर्चा होती है। वह गरीबों का दर्द दूर करने को उनके घर भी चले जाते हैं वह भी निशुल्क।
प्राय: देखा गया कि नसों के ब्लॉक हो जाने से हार्ट अटैक का जो खतरा रहता है ऐसे लोगों को भी ठीक करने का वह दावा करते हैं। वह बताते हैं कि जिस दिन वह इलाज करने का मरीज से पैसा लेने लगेंगे उस दिन उनकी विद्या गायब हो जाएगी।
गर्दन की नस चढ़ जाने से गर्दन का सीधा ना होना, नस के कारण हाथ टेढ़ा हो जाना उसे ठीक करने में मात्र 5 मिनट लगते हैं। शिवपुरी में एक न्यूरोलॉजिस्ट ने बताया कि अभी तक उनके पास कोई ऐसा मरीज नहीं आया है जो यह बताएं कि उन्होंने फ़ौजी ओम प्रकाश पाल को दिखाया था और उनके इलाज से उसे फायदा नहीं हुआ है।
शिवपुरी में महाराणा प्रताप चौक पर, फल बेचने वाले राम प्रताप शिवहरे बताते हैं कि यदि ओमप्रकाश जी मेरे पैर की नसे ठीक ना करते तो मैं अपाहिज हो गया होता। मेरा पूरा परिवार भूखा मर जाता आज पूरे दिन खड़े रहकर फल बेचता हूं। किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं हो रही है।
शिवपुरी जिला अस्पताल डॉक्टर अपना नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि फौजी ओम प्रकाश पाल शिवपुरी की धरोहर है, इस युग में बिना पैसे के अपने पैरों पर चलाने वाले की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। अभी फौजी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगाह नहीं पड़ी है, जिस दिन निगाह पड़ गई, उन्हें पदमश्री घर बैठे मिलेगी और शिवपुरी का नाम रौशन होगा।