बांग्लादेश ते कानून मंत्री का कहना है कि अल्पसंख्यकों पर हमलों के मामले पर गवाह डरे रहते हैं। जिसके चलते सुनवाई अटक जाती है। किसी-किसी केस में तो ऐसा होता है कि गवाहों के न होने के कारण कुछ केसों का फैसला कभी हो ही नहीं पाता। इसलिए सरकार गवाहों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने पर विचार कर रही है। उनका कहना है कि हालांकि इस प्रक्रिया के लिए पहले ही कदम उठाए जा चुके हैं।
बांग्लादेश में दुर्गा पूजा में हुए हमले के बाद से ही सियासत गर्माई हुई है। हमले को लेकर और उसके गवाहों की सुरक्षा को लेकर बांग्लादेश के कानून मंत्री अनीसुल हक का कहना है कि सरकार बहुत जल्द गवाहों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और उसके गवाहों की सुरक्षा के लिए ये कानून बनाया जा रहा है। बंग्लादेश के वकील और कार्यकर्ताओं ने कहा कि अल्पसंख्यकों पर हमले के मामले में गवाहों के डर की वजह से सुनवाई पूरी नहीं हो पाती और मामले अटके रह जाते हैं। जिसको लेकर वह लंबे समय से गवाहों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।
लेकिन 13 अक्टूबर को कुमिल्ला के पूजा मंडप में क़ुरान मिलने की घटना के बाद बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा और हमलों के मद्देनजर ऐसे मामलों की सुनवाई का मुद्दा फिर से उभर कर सामने आया है। कानून मंत्री का कहना है कि जब इस तरह के हमले होते हैं तो सबसे ज्यादा गवाह डर जाते हैं और गवाही नहीं दे पीते इसलिए हमने गवाह संरक्षण कानून बनाने का फैसला लिया है। ताकि गवाह बिना डरे गवाही दे सके।
यह कानून जल्द ही लागू किया जाएगा। इस कानून में गवाहों को सुरक्षा दी जाएगी। अगर कोई भी गवाह के साथ गलत करता है या करने की कोशिश करता है तो उसे अपराध माना जाएगा। जिसके बाद ऐसा करने वाले के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना है कि इस कानून में गवाह की गोपनीयता बनाए रखने का भी प्रवाधान होगा।