- अभी तक कोई भी पारी 90 मिनट के अंदर समाप्त नहीं हुई
- देर तक मैच चलने से दर्शकों का मज़ा हो रहा ख़राब
- ब्रॉडकास्टर और खु़द आईपीएल के लिए यह बना एक नहीं समस्या
- वाइड-नो बॉल डीआरएस भी है इसकी एक बड़ी वजह
चेन्नई सुपर किंग्स और लखनऊ सुपर जायंट्स के मैच की पारी एक घंटे 48 मिनट की थी। मैच रात 11.30 बजे के बाद समाप्त हुआ। सोचिए यह इस सीज़न के पहले सात मैचों के क़रीब भी नहीं था। मुंबई इंडियंस के ख़िलाफ़ रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने गेंदबाज़ी ख़त्म करने में दो घंटे दो मिनट लगाए और पहले मैच में गुजरात टाइटंस ने सीएसके के ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी ख़त्म करने में दो घंटे लगाए, जबकि ओपनिंग सेरेमनी की वजह से मैच दो मिनट देरी से शुरू हुआ था।
अभी तक कोई भी 20 ओवर की पारी 90 मिनट के अंदर समाप्त नहीं हुई है जिसमें पांच मिनट का टाइमआउट भी शामिल है। आईपीएल का उद्देश्य है कि प्रत्येक मैच तीन घंटे और 20 मिनट के अंदर समाप्त हो लेकिन अभी तक कोई भी मैच इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया है। केवल दो ही मैच ऐसे रहे जब दोनों टीमों ने प्रत्येक 20 ओवर खेलते हुए चार घंटों के अंदर समाप्त किया। यह तब है जब 20 मिनट के पारी के ब्रेक को घटाया गया है।
इसका परिणाम यह हुआ कि डबल हेडर के दिन दोनों मैचों को देखना मुश्किल हो जाता है और रात वाले मैच तो देरी से ख़त्म हो रहे हैं जो उन दर्शकों के लिए सही नहीं हैं जिन्हें सुबह काम पर जाना है और ना ही यह आईपीएल या ब्रॉडकास्टर्स के लिए सही है।
समय सीमा एक ऐसा मुद्दा रहा है जिससे आईपीएल जूझता रहा है। कई पेनाल्टी लगाई गई, समय को 8 बजे से 7.30 बजे किया गया जिसमें एम एस धोनी समेत कई का मानना था कि ओस की वजह से चेज करने वाली टीम को फ़ायदा नहीं पहुंचेगा। इसके बाद गेम पेनाल्टी आई जिसमें था कि तय समय के अंदर पारी पूरी नहीं होने पर आख़िरी ओवर में गेंदबाज़ 30 यार्ड के बाहर एक क्षेत्ररक्षक कम रखेगा।
अब तक खेली गई ऐसी 12 पारियां जिनमें विलंब देखने को मिला है, उनमें केवल एक में इस पेनल्टी का उपयोग हुआ है। यह इस बात को स्पष्ट करता है कि गेम के दौरान इस लगातार देरी की मूल वजह क्या है। एक दोषी तो वाइड और नो बॉल के लिए डीआरएस रिव्यू है, जिसे लीग को दोबारा देखने की ज़रूरत है अगर अच्छा प्रोडक्ट देना है।
यह घर-बाहर के प्रारूप वाले टूर्नामेंट के शुरुआती दिन ही हैं। यह शायद उतना व्यवस्थित नहीं हो सकता जितना कि पिछले तीन वर्षों में सीमित स्थानों पर बिना दर्शकों के खेला जाता था। हालांकि, यह सही है कि टीमें अपने कार्यों को एक साथ करें या ऐसा करने के लिए मजबूर हों और क्रिकेट का एक धीमा ब्रांड न खेलें जो दर्शकों को रोमांचकारी अंतिम क्षणों को देखने से खो देता है क्योंकि मैच बहुत देर रात तक चलते हैं।
2018 में इंडियन एक्सप्रेस में स्टार स्पोर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्ट ने कहा था कि आईपीएल की टीवी रेटिंग रात 10.45 के बाद घट जाती हैं और 11 बजे के बाद तो और गिर जाती है। यह नंबर बताते हैं कि दर्शक इतनी देर तक मैच नहीं देख रहे हैं।