बिहार । शिक्षा विभाग की बैठक को लेकर राजभवन और शिक्षा विभाग आमने-सामने हो गया था. अंतत: कुलपतियों (VC) ने राज्यपाल सह कुलाधिपति के ही दिशा निर्देशों का पालन किया और बैठक में कुलपति नहीं आए. सिर्फ दो विश्वविद्यालयों के तीन प्रतिनिधियों के साथ बुधवार को शिक्षा विभाग की बैठक हुई. शिक्षा विभाग ने कुलपतियों को इस बैठक में शामिल होने को लेकर चेतावनी भी दी थी. पत्र लिखकर इस बैठक में हिस्सा लेने को अनिवार्य बताया था. लेकिन बैठक में कुलपति शामिल नहीं हुए. वहीं बैठक में कुलपति शामिल नहीं हुए तो शिक्षा विभाग की ओर से विश्वविद्यालय में फोन भी किया गया और बैठक में शामिल नहीं होने की वजह पूछी गयी.
शिक्षा विभाग से आया फोन, रजिस्ट्रार से पूछी वजह..
शिक्षा विभाग की बुधवार को हुई बैठक में शामिल नहीं होने पर तिलकामांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो जवाहर लाल व रजिस्ट्रार डॉ विकास चंद्रा से जवाब मांगा गया है. विभाग के सहायक डायरेक्टर दीपक कुमार सिंह ने रजिस्ट्रार को फोन करके पूछा कि वे और कुलपति बैठक में क्यों नहीं आये. रजिस्ट्रार ने उनसे कहा कि कुलपति से बात करने के बाद मामले में बता पायेंगे, फिर रजिस्ट्रार ने कुलपति से बात की और बताया कि शिक्षा विभाग ने बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर जवाब मांगा है.
शिक्षा मंत्री के बारे में क्या बोले रजिस्ट्रार..
कुलपति से बात पूरी होने के तुरंत बाद डिप्टी डायरेक्टर ने टीएमबीयू के रजिस्ट्रार को दोबारा फोन करके कारण बताने को कहा. रजिस्ट्रार ने डिप्टी डायरेक्टर से कहा कि शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में घोषणा की थी, 28 फरवरी की बैठक स्थगित रहेगी. इसकी सूचना समाचारपत्रों से मिली. इस कारण से संशय की स्थिति बनी थी. लिहाजा शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल नहीं हो सके.
क्य पहले ही दी गयी थी जानकारी..?
सूत्र बताते हैं कि मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय और तिलकामांझी विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने उच शिक्षा निदेशालय को पत्र लिख कर पहले ही अवगत करा दिया था कि वह मीटिंग में विभिन्न वजह से शामिल नहीं हो पायेंगे. सूत्र यह भी बता रहे हैं कि कुछ एक विश्वविद्यालयों ने अपने-अपने परीक्षा सत्रों के बारे में जरूरी जानकारियां विभाग को भेज दी थी.
अब ट्रेनिंग कार्यक्रम पर गहराया ग्रहण..
गौरतलब है कि शिक्षा विभाग ने बुधवार को होने वाली जिस बैठक में कुलपतियों की हाजिरी को अनिवार्य बता रखा था उसमें कोई भी कुलपति शामिल नहीं हुए. इतना ही नहीं बैठक में मगध और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के अलावा किसी भी यूनिवर्सिटी ने एक भी प्रतिनिधि तक इस बैठक में नहीं भेजे. अब दो और तीन मार्च को शिक्षा विभाग ने कुलपतियों और कुलसचिवों समेत अन्य अधिकारियों को एक ट्रेनिंग कार्यक्रम के लिए बुलाया है. तो दूसरी तरफ राज्यपाल की ओर से सख्त निर्देश दिया गया है कि उस सेमिनार में भी कोई कुलपति हिस्सा नहीं लें. जिसके बाद अब इस सेमिनार में भी किसी कुलपति या रजिस्ट्रार के पहुंचने की संभावना अब कम ही लग रही है.