जानें लालू यादव की भरी जवानी के चर्चित कांड, जिससे हिल गया बिहार

तेज प्रताप यादव ने भारत पाक युद्ध के दौरान पायलट ट्रेनिंग वाली फोटो डालकर चेतावनी दी कि वो तैयार हैं सरकार जब चाहे तब उन्हें बुला ले… मगर सरकार ने नहीं बुलाया तो इसके कुछ दिनों के बाद ही उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर खुद ही कर दिया और अपनी सफलता की फोटो भी शेयर कर दी… मगर पशुओं का चारा तक हजम कर लेने वाले लालू यादव को तेज प्रताप की एक गर्ल फ्रैंड हजम नहीं हुई… उन्हें एक दो नहीं बल्कि पूरे छ: वर्षों के लिये पार्टी निकाल दिया… भला ये भी कोई बात है…

लालू जी के दूसरे पुत्र और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी पिताजी के फैसले को उचित बताया, इस पर अनुष्का यादव और उनका परिवार डर गया लेकिन तेजू भईया कडरने वाले उन्होंने अनुष्का से साफ–साफ कह दिया कि–
गाना: अबके यादव जी के झंडा तोहरे लंहगा पे फहरी

भाई इन सबके बीच लालू यादव के सरकार में होने वाली कुरीतियां, भ्रष्टाचार, अपराध व हफ्ता वसूली की चर्चायें करने वालों ने कहा कि लालू के पाप का घड़ा भर गया है और अब धरती पर ही नर्क का सुख भोगने की तैयारी कर लेनी चाहिये..

दोस्तों आज की इस वीडियो में मनोरंजन के डोज के साथ आपको बतायेंगे कि आखिर लालू यादव के जमाने में कौन–कौन से किस्से परवान चढ़े…

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दोस्तों लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार हमेशा से ही राजनीति के साथ-साथ विवादों से भी घिरा रहा है. उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की वजह से यह परिवार फिर से सुर्खियों में है. 25 मई 2025 को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए तेज प्रताप को न सिर्फ पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया, बल्कि उन्हें सार्वजनिक रूप से परिवार से भी अलग कर दिया.

यह कठोर कदम तेज प्रताप यादव के आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से किए गए एक पोस्ट के बाद उठाया गया. उस पोस्ट में तेज प्रताप एक युवती अनुष्का यादव के साथ नजर आ रहे थे और दावा किया गया था कि वे पिछले 12 सालों से रिलेशनशिप में हैं. पोस्ट वायरल होते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई और तेज प्रताप के चाल-चलन को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे, खासकर तब जब उनका अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक का मामला पहले से ही कोर्ट में चल रहा है.

बाद में तेज प्रताप ने सफाई दी कि उनका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया था और यह पोस्ट उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने के इरादे से किया गया. लेकिन लालू यादव ने इसे ‘गैर-जिम्मेदाराना और नैतिकता के खिलाफ आचरण’ करार देते हुए तेज प्रताप के खिलाफ यह सख्त कार्रवाई की.

यह विवाद न सिर्फ यादव परिवार के आंतरिक संबंधों में दरार की ओर इशारा करता है, बल्कि आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आरजेडी की छवि को भी धक्का पहुंचाता है. यह पूरा घटनाक्रम बताता है कि राजनीतिक परिवारों के लिए निजी और सार्वजनिक जीवन के बीच संतुलन बनाना कितना मुश्किल हो सकता है. ऐसे कई किस्से हैं जिनसे लालू परिवार विवादों में रहा है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ विवादों के बारे में…

भाई पहला विवाद है.. लालू यादव का चारा घोटाला

भारतीय राजनीति के सबसे बड़े भ्रष्टाचार मामलो में से एक है चारा घोटाला. इस घोटाले में बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव पर लगभग 950 करोड़ रुपये की सरकारी राशि गायों के चारे के नाम पर गबन करने का आरोप लगा. यह फर्जीवाड़ा 1990 के दशक में उजागर हुआ और जांच के बाद लालू यादव को दोषी ठहराया गया. उन्हें जेल भी जाना पड़ा. इस घोटाले ने न सिर्फ उनकी राजनीतिक साख को नुकसान पहुंचाया, बल्कि उन्हें 1997 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा.

लालू यादव के राज में गुंडाराज के भी आरोप लगते रहे हैं

बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में लालू यादव का 1990 से 1997 का कार्यकाल अक्सर ‘जंगल राज’ या ‘गुंडाराज’ के नाम से जाना जाता है. इस दौर में राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब हो गई थी. अपराध दर में भारी बढ़ोतरी हुई, खासकर अपहरण के मामलों में. आलोचकों का आरोप था कि लालू यादव ने राजनीतिक लाभ के लिए आपराधिक तत्वों को संरक्षण दिया, जिससे जनता का सरकार पर से भरोसा उठ गया. इस काल को बिहार के इतिहास का सबसे असुरक्षित और अराजक दौर माना जाता है.

मीसा भारती के फार्महाउस को लेकर विवाद

लालू यादव की बेटी मीसा भारती के दिल्ली स्थित फार्महाउस पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की थी, जो बेनामी संपत्ति से जुड़े मामले में हुई थी. अधिकारियों के अनुसार, यह फार्महाउस शेल कंपनियों के जरिए अवैध धन से खरीदा गया था. इस मामले की जांच और कोर्ट केस के चलते मीसा भारती के राजनीतिक करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और विवाद खड़ा हो गया.

लालू यादव और परिवार के बेनामी संपत्ति मामले

साल 2017 में लालू यादव के परिवार के कई सदस्यों, जिनमें उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बच्चे शामिल थे, उन पर बेनामी संपत्ति के आरोप लगे. इनकम टैक्स विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ने शेल कंपनियों और दलालों के जरिए अवैध रूप से जमीन और भवन खरीदने का आरोप लगाया. इन आरोपों ने उनके खिलाफ बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अवैध धन रखने का मामला उजागर किया. यह मामला उनके राजनीतिक और सामाजिक छवि के लिए बड़ा विवाद बना.

तेज प्रताप यादव से जुड़े विवाद

लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के व्यक्तिगत जीवन में कई विवाद रहे हैं, खासकर उनकी शादीशुदा जिंदगी को लेकर. उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय के साथ विवाद और तलाक के मामले अक्सर मीडिया की सुर्खियों में रहे. तेज प्रताप के सार्वजनिक झगड़े और भावनात्मक बयानों ने परिवार की छवि को प्रभावित किया है. साथ ही उनका अनियमित राजनीतिक व्यवहार और विवादित बयान भी कई बार चर्चा में आए. अब अनुष्का यादव संग विवाद भी गहराता जा रहा है.

दोस्तों इसके अलावा लालू राज में आईएएस अधिकारियों तक का परिवार सुरक्षित नहीं रहता था… मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लालू यादव की सरकार में एक आईएएस अधिकारी की पत्नी को हवस का शिकार बनाया गया था. बताया जाता है कि राजद नेता की मौजूदगी में आरोपी पत्नी के साथ बलात्कार करता था. घटना को अंजाम देने वाला कोई और नहीं बल्कि राजद विधायक का ही बेटा था. लगातार दो साल तक अधिकारी की पत्नी का रेप होता रहा.

1997 में तत्कालीन विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस घटना का खुलासा किया था. कोर्ट ने पलट दिया था फैसलाः कोर्ट में केस चला. आरोपी को सजा भी हुई लेकिन पटना हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले को पलट दिया था. कहा था कि अधिकारी की पत्नी दो साल तक क्यों चुप रही. इसके बाद दोनों के बीच प्रेस संबंध बताकर मामला को रफा दफा कर दिया गया था. इसी घटना को नेता लालू यादव की जंगलराज की याद दिलाते हैं.

  • अब सवाल यह है कि क्या आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े युवराज तेज प्रताप यादव पर की गई कार्रवाई एक दिखावा है?
  • क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X हैंडल पर लिखना तत्काल चुनावी रणनीति का मात्र हिस्सा भर है?
  • क्या सामाजिक स्तर पर हो रही छीछालेदर से बचाव के लिए अपनाया गया एक रास्ता भर है?

ऐसे कई सवाल राजनीतिक गलियारों में अब उठने लगे हैं। उठ रहे हैं तो इसके पीछे कई कारण भी सामने आने लगे हैं, जिसका जवाब ढूंढने के दौरान यह लगता है कि तेज प्रताप को पार्टी से नहीं निकाला गया है। संवैधानिक रूप से तेज प्रताप अभी भी राजद के विधायक हैं।

तेज प्रताप पर कार्रवाई हुई क्या?

संवैधानिक प्रक्रिया की बात करें तो पहले यह समझना होगा कि तेज प्रताप राजद के नेता ही नहीं एक विधायक भी हैं।
ऐसे में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को जो प्रक्रिया अपनानी चाहिए वह नहीं अपनाई गई है। जानते हैं पार्टी से निकालने की क्या है प्रक्रिया।

राजद के विधायक तेज प्रताप यादव को सबसे पहले नोटिस भेजनी चाहिए। पार्टी को नोटिस आने या न आने तक दिए गए समय का इंतजार करना चाहिए। फिर नोटिस का जवाब अगर आता तो उस जवाब के परिपेक्ष्य में उनका निष्कासन किया जाना चाहिए। पर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह पालन नहीं किया गया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स हैंडल पर जारी पत्र में पत्रांक, दिनांक नहीं होना भी संदेह पैदा करता है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तरफ से विधान सभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव को कार्रवाई संबंधित पत्र के हवाले से नहीं कहा गया है कि तेज प्रताप हमारे विधायक नहीं हैं।

तेज प्रताप का मौन किसी तूफान के आने का पता तो नहीं?

तेज प्रताप अभी तक दल से निष्काषन के विरुद्ध मौन साधे हैं। इस मौन के पीछे किसी तूफान के आने के संकेत भी हो सकते हैं। यह या तो किसी पार्टी को ज्वाइन करने से हो सकता है या तेज प्रताप खुद कोई दल खड़ा कर लें। तेज प्रताप की खामोशी में अभी तक यह तो संकेत मिल रहे हैं कि वह कोई पार्टी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं।

ऐसे में वर्तमान आरजेडी की सत्ता के विरुद्ध तेज प्रताप कोई दल या संगठन बना कर खड़ा कर सकते हैं। वैसे भी तेज प्रताप को संगठन और पार्टी खड़ा करने का अनुभव पुराना है। तेज प्रताप पार्टी बना कर संगठन खड़ा करने की खासियत भी है। वे ऐसा पहले भी कर चुके हैं।

तेज प्रताप यादव जब नाराज हुए तो 2021 में छात्र जनशक्ति परिषद नाम से नया सामाजिक संगठन भी बनाया था। हालांकि तब वे राजद से निष्कासित नहीं किए गए थे, इसलिए उन्होंने यह घोषणा भी की थी कि ये संगठन आरजेडी का ही अभिन्न अंग होगा।

2019 लोकसभा चुनाव के पहले भी तेजप्रताप ने बागी रुख अपनाया था। तब तेजप्रताप ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए नए गुट का ऐलान किया था। तेज प्रताप ने अपने गुट का नाम रखा था लालू-राबड़ी मोर्चा रखा था। तब तेज प्रताप ने अपने मोर्चा के लिए शिवहर और जहानाबाद लोकसभा सीट मांगी थी।

कुल मिलाकर देखना यह है कि लालू परिवार का यह किस्सा अब राजनीति में कहां तक जायेगा और कितना गुल खिलायेगा।