रत्न शास्त्र में किसी भी रत्न को धारण करने से पहले उसके नियम और विधि के बारे में बताया गया है. ज्योतिष अनुसार अगर कुंडली के मुताबिक विधिपूर्वक रत्न धारण करेंगे, तो ही उसके शुभ फलों की प्राप्ति होगी. बहुत से लोगों को मोती की ज्वैलरी पहनना पसंद होता है. मोती का रत्न शास्त्र में भी बहुत महत्व है. मोती धारण करने से ग्रहों के दुष्प्रभाव और जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है। रत्न शास्त्र में कई प्रकार के रत्नों का जिक्र मिलता है हर रत्न का किसी न किसी ग्रह से संबंध होता है. जिसे धारण करके व्यक्ति कई समस्याओं से निजात पा सकता है. हालांकि इसे धारण करने से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है. अगर आप भी मोती धारण करते हैं तो सबसे पहले जान लें इसके धारण करने की विधि और अन्य नियम…
कौन कर सकता है मोती धारण..?
मोती का संबंध चंद्र से माना जाता है, जो शीतला प्रदान करता है. वहीं चंद्र को मन का कारक माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा ग्रह कमजोर या अशुभ स्थित में है तो मोती धारण किया जा सकता है। साथ ही मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न के लिए मोती धारण करना उत्तम माना जाता है। चंद्रमा की महादशा होने पर मोती पहनना अच्छा माना जाता है। चंद्र के कमजोर होने पर व्यक्ति को मानसिक तनाव, नकारात्मक विचार, आत्मविश्वास में कमी आदि की समस्या होती है.
धारण करने की विधि
मोती रत्न को धारण करने की विशेष विधि है। मोती को चांदी की अंगूठी में लगाकर धारण किया जा सकता है। मोती की अंगूठी को पहनने से पहले इसे कच्चे दूध या फिर गंगाजल में डुबाकर रखकर आपको हाथ जोड़कर चंद्र मंत्र ‘ओम श्राम श्रीम श्रौम सः चंद्रमसे नमः’ का 108 बार जाप करना चाहिए।
इसके बाद विधि-विधान से शिवजी की पूजा करके इसे सबसे छोटी उंगली में धारण करना चाहिए।
मोती पहनने के फायदे
मोती को चंद्रमा से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए इसे शीतल माना जाता है। इसे पहनने से जीवन में आत्मविश्वास और मनोबल की वृद्धि होती है, मन स्थिर रहता है, बुरे विचार मन में नहीं आते, दिमाग भी तेज होता है और व्यक्ति जीवन में तरक्की करता है. इसके साथ ही इसे धारण करने से मन शांत रहता है और गुस्सा भी कम आता है. साथ ही मोती बुरी आत्माओं से भी बचाने में कारागर होता है। अगर आप तेज बुद्धि चाहते हैं, तो भी मोती पहनने से आपको फायदे मिल सकते हैं।