© काशी में श्मशान पर बजेगी संगीत, चिताओं की राख से होगी होली

भगवान शिव की नगरी काशी की हर परंपरा अनूठी है। यहां भगवान शिव माता का गौना कराने जाते हैं। इस अवसर पर यहां अनोखी होली खेली जाती है। जिस श्मशान में लोग जाने से डरते हैं उस श्मशान की चिता की राख से लोग जमकर होली खेलते हैं।

bhabhoot holi के लिए इमेज परिणाम

होली का नजारा होता है बेहद अलग

पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी से बाबा विश्वनाथ के वैवाहिक कार्यक्रम का जो सिलसिला शुरू होता है वह होली तक चलता है। वसंत पंचमी पर बाबा का तिलकोत्सव मनाया जाता है तो महाशिवरात्रि पर विवाह।रंगभरी एकादशी पर गौरा की विदाई होती है। इसके अगले ही दिन बाबा अपने अड़भंगी बारातियों के साथ महाश्मशान पर दिगंबर रूप में होली खेलते हैं।

दर्शकों का लगता है हुजूम

मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्‍म से ‘मसाने की होली’ होली खेलने की परंपरा का निर्वाह पौराणिक काल में संन्‍यासी और गृहस्‍थ मिलकर करते थे। कालांतर में यह प्रथा लुप्‍त हो गई थी। करीब 25 साल पहले मणिकर्णिका मोहल्‍ले के लोगों और श्‍मशानेश्‍वर महादेव मंदिर प्रबंधन परिवार के सदस्‍यों ने इस परंपरा की फिर से शुरुआत की तो देश-विदेश से बड़ी संख्‍या में लोग इसे देखने पहुंचते हैं।

श्‍मशानेश्‍वर महादेव मंदिर के व्‍यवस्‍थापक गुलशन कपूर के अनुसार 18 मार्च की दोपहर ठीक 12 बजे मणिकर्णिका घाट स्थित मंदिर में महाआरती होगी। इसके बाद जलती चिताओं के बीच काशी के 51 संगीतकार अपने-अपने वाद्ययंत्रों की झंकार करेंगे। चिता भस्‍म से होली खेलने का दौर शाम तक चलेगा।

Send Your News to +919458002343 email to [email protected] for news publication to eradioindia.com