-कमिश्नर भी नाराज, सात को लेंगे अफसरों की क्लास
मेरठ। मेरठ शहर में जाम के हालात काबू से बाहर हैं। तमाम दिशा निर्देशों और प्रयासों के बाद भी पूरा शहर जाम है और यातायात पुलिस इससे निपटने में फेल साबित हो रही है। आम जनता और स्कूली बच्चों के साथ साथ अफसरों की गाडिय़ां भी जाम में काफी काफी देर तक फंस रही हैं। कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह ने इन हालात पर संबंधित विभागों के अफसरों से नाराजगी जताई है और 7 अप्रैल को कमिश्नरी सभागार में डीएम और एसएसपी समेत कुल 14 विभागों के अफसरों की बैठक बुलाई है। अब शहर में सभी स्कूलों के खुलने से जाम का झाम और बढ़ने का अंदेशा है।
लखनऊ तक गूंजी थी जाम की समस्या
मेरठ शहर की जाम की समस्या की गूंज लखनऊ तक है। दो साल पहले खुद मुख्यमंत्री ने मेरठ शहर के जाम के समाधान की योजना अफसरों से मांगी थी। योजना बनाकर भेजी भी गई लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका है। रैपिड रेल प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य ने इस समस्या को कई गुना अधिक बढ़ा दिया है। परतापुर से लेकर बेगमपुल तक पूरा शहर जाम से परेशान है। शहर में दिनभर ट्रैफिक रेंगकर चलता है। कोरोना संक्रमण के कम होने पर अब स्कूल खुले तो स्कूली बच्चों के वाहन भी जाम में फंस रहे हैं। भीषण गर्मी में बच्चे बिलबिला रहे हैं। इन गंभीर हालात से कमिश्नर नाराज हैं। उन्होंने प्रशासन, पुलिस और यातायात पुलिस के अफसरों से फोन पर समस्या की जानकारी ली। जाम के समाधान के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में पूछताछ की। अफसरों के जवाब उन्हें संतुष्ट नहीं कर सके। कमिश्नर ने नाराजगी जताते हुए बैठक बुलाई है।
इन अफसरों को बुलाया
जिलाधिकारी, एसएसपी, एमडी पश्चिमांचल, वीसी एमडीए, संयुक्त आयुक्त उ.प्र. आवास विकास परिषद, मुख्य अधिशासी अधिकारी छावनी परिषद, एसपी ट्रैफिक, मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग, आरटीओ, क्षेत्रीय प्रबंधक रोडवेज, एमडी मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लि., उप महाप्रबंधक बीएसएनएल, परियोजना प्रबंधक सेतु निगम, परियोजना निदेशक एनएचएआइ।