- राजेश अवस्थी, वरिष्ठ पत्रकार
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी पर जमकर प्रहार किया है। असदुद्दीन ओवैसी ने प्रियंका गांधी से पूछा कि, ‘पिछले लोकसभा चुनाव में आपका भाई अमेठी में चुनाव हारा, क्या वहां से मैं लड़ा?’
गौरतलब है कि हाल ही में प्रियंका गांधी ने रायबरेली में अपने भाई एवं कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी के पक्ष में प्रचार करते हुए ओवैसी पर आरोप लगाते हुए कहा था, ‘असदुद्दीन ओवैसी जी सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी के साथ काम कर रहे हैं…तेलंगाना के चुनाव में यह बात बहुत स्पष्ट हो गई है।’ प्रियंका गांधी के लगाए गए आरोप पर ओवैसी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “आपका भाई अमेठी हार गया… क्या मैं वहां आया और लड़ा? महाराष्ट्र में, आपने उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन किया है। क्या वह धर्मनिरपेक्ष हैं? यह वही शिवसेना है जिसके कार्यकर्ताओं ने 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस किया था मस्जिद। क्या आप उनके साथ हैं?”
औवेसी ने गुरुवार को एक सार्वजनिक जनसभा में कहा कि, ‘आपने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया है… वहीं AAP जिसने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने में भाजपा की मदद की. और आप हमें ‘बीजेपी बी-टीम’ कहते हैं?” “2019 के चुनाव में आप 92 प्रतिशत सीटें हार गए, जिन पर आप भाजपा के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। इस बार आप 300 सीटों पर लड़ रहे हैं… मुझे बताएं, आपको क्या लगता है कि आप कितनी सीटें जीतेगे?”
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गौरतलब है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने अमेठी के साथ-साथ वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ा था। हालांकि, वे वायनाड से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे, लेकिन अमेठी सीट केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हार गए। इस बार राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं। अमेठी से कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा को मैदान पर उतारा है। रायबरेली सीट पिछले दो दशकों से राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी के पास थी। हालांकि, रायबरेली से चुनाव मैदान में उतरकर राहुल ने अपने लिए कांटे ही बोए हैं, क्योंकि यदि वे यहां से जीत जाते हैं तो यही कहा जाएगा कि यह तो गांधी नेहरू परिवार की परंपरागत सीट है।
यहां पर उनकी जीत पर कोई हैरानी की बात नहीं है। अगर वे वायनाड और रायबरेली दोनों स्थानों से जीते तो उन्हें एक स्थान से इस्तीफा देना पड़ेगा। यदि वे वायनाड की सीट छोड़ते हैं तो दक्षिण में अपनी पैठ बना रही कांग्रेस पार्टी के लिए गलत संदेश जाएगा। यदि वे रायबरेली की सीट छोड़ते हैं तो उत्तर प्रदेश में अपना वजूद तलाश रही कांग्रेस के लिए यह अच्छी खबर नहीं होगी। इसके साथ ही भाजपा नेताओं को यह कहने का मौका भी मिल गया है कि चूंकि अमेठी में राहुल को स्मृति ईरानी से हारने का डर था, इसलिए उन्होंने रायबरेली की सीट चुनीं। कुल मिलाकर रायबरेली से चुनाव लड़ने का निर्णय राहुल गांधी के लिए मुफीद नहीं साबित होगा, इतना तय है।