झारखंड में चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज

झारखंड में चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। इन सब के बीच पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी बड़ी चुनावी दांव खलने की तैयारी कर दी है। यशवंत सिन्हा ने नई राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान किया है। यशवंत सिन्हा की अगुवाई में गठित होने वाली पार्टी का नाम भी पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर ही होगा। यह कदम आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा को टिकट नहीं देने के भाजपा के फैसले के मद्देनजर उठाया गया है। अब नई पार्टी बना कर यशवंत सिन्हा क्या  भाजपा को  चुनाव में  पटकनी दे पाएंगे, यह तो भविष्य ही बताएगा।

भाजपा ने जयंत सिन्हा  के बजाय, पार्टी ने विधायक मनीष जयसवाल को हज़ारीबाग़ सीट के लिए उम्मीदवार के रूप में चुना, जिससे जयंत सिन्हा के समर्थकों में असंतोष फैल गया।

जयंत सिन्हा को नामांकित नहीं करने के फैसले से यशवंत सिन्हा की भविष्य की राजनीतिक योजनाओं के बारे में अटकलें तेज हो गईं। अटल विचार मंच के गठन को इन घटनाक्रमों की रणनीतिक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। उम्मीद है कि नई पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण प्रभाव डालने के लक्ष्य के साथ चुनाव लड़ेगी। सोमवार को दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों के साथ परामर्श करने के बाद, अटल विचार मंच (एवीएम) गठित करने पर अंतिम निर्णय शीघ्र लिया जाएगा।

रविवार की बैठक की अध्यक्षता सुरेंद्र कुमार सिन्हा ने की, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य हैं। वह (सुरेंद्र) भाजपा के पूर्व सांसद जयंत सिन्हा के (सांसद) प्रतिनिधि रह चुके हैं। बैठक में जयंत और उनके पिता यशवंत सिन्हा, दोनों के समर्थकों ने हिस्सा लिया। वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने 1998, 1999 और 2009 में हजारीबाग लोकसभा सीट जीती थी। साल 2004 के चुनाव में वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के उम्मीदवार भुवनेश्वर मेहता से हार गए थे।

गौरतलब है कि यशवंत सिन्हा ने लोकसभा  चुनाव  के  दौरान भी पर्दे के पीछे से भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मुहिम चलाई थी। हालांकि  उस वक्त  तो उनकी परंपरागत सीट पर तो भाजपा जीत गयी थी, लेकिन  यदि पूरे सूबे की  बात करें तो भाजपा को झटका लगा था। राज्य में  आदिवासियों के लिए आरक्षित  सभी पांच  सीटे भाजपा  हार गयी  थी। इस बार भी  आदिवासी समुदाय की गोलबंद झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थन में  नजर आ रही है । 

ऐसे में  यदि यशवंत सिन्हा नयी पार्टी का गठन करते  हैं तो विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट का नुकसान पड सकता है। इसलिए  भाजपा की निगाहें यशवंत सिन्हा के अगले कदम की ओर लगी हुई हैं ।