- विपक्ष के नेताओं में अकाली दल को लेकर असमंजस की स्थिति
- पंजाब में कांग्रेस के हाथों से फिसल सकते हैं अमरिंदर व बादल?
कृषि कानूनों की वापसी के बाद राजनीतिक उठापटक जारी
अकाली दल व भाजपा में गठबंधन के आसर, कांग्रेस की बढ़ी टेंशन
पंजाब में कांग्रेस के कैप्टन पहले ही हो चुके हैं भाजपा के दीवाने
अचानक तीनों कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान करने के बाद पंजाब में किसानों की नाराजगी झेल रही बीजेपी के लिए चुनावी समीकरणों में भी बदलाव के आसार दिख रहे हैं। विपक्ष अपने सहयोगियों को लेकर भी परेशान है। अटकलें यह भी हैं कि बीजेपी अपनी पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के साथ एक बार फिर से गठबंधन कर सकती है क्योंकि दोनों के बीच रिश्ते टूटने की वजह यानी कृषि कानून अब वापस लिए जा चुके हैं।
ऐसे में पंजाब में नए-नए प्रयोग कर के अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में जुटी कांग्रेस की टेंशन एक बार फिर से बढ़ गई है क्योंकि इस बार पार्टी की पारी संभालने के लिए ‘कप्तान’ यानी अमरिंदर सिंह भी नहीं हैं, बल्कि वह बीजेपी से गठबंधन के संकेत पहले ही दे चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस ने फिलहाल राज्य में ‘वेट एंड वॉच’ की पॉलिसी अपना ली है।
अब कांग्रेस में अंदरखाने यह चिंता बढ़ गई है कि अगर अकाली दल और बीजेपी फिर से साथ आ जाते हैं, तो यह कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं होंगे, खासतौर पर शहरी सीटों पर। एक नेता ने कहा, ‘शहरी सीटों पर, जहां व्यापारी किसानों के आंदोलन से नाराज है, वहां अकाल और बीजेपी के फिर से गठबंध का कांग्रेस पर असर पड़ सकता है।’ उन्होंने यह भी कहा कि इससे राज्य में जट सिखों का भी ध्रुवीकरण हो सकता है क्योंकि कांग्रेस ने हाल ही में एक एससी समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाया है।
हालांकि, शिरोमणि अकाली दल के चीफ सुखबीर सिंह बादल ने शुक्रवार को यह साफ कहा कि वह बीजेपी से किसी भी कीमत पर गठबंधन नहीं करेंगे, लेकिन कांग्रेस ऐसा मानने को तैयार नहीं है।