- मेरठ
खेल के सितारों ने अपने दम पर दुनिया में मेरठ को स्पोर्ट्स सिटी के रूप में पहचान दिलाई। टोक्यो ओलंपिक में खूब डंका बजा। लेकिन सुविधा और संसाधनों के टोटे के कारण खिलाड़ी मायूस है। कैलाश प्रकाश स्टेडियम में सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। सिंथेटिक ट्रैक अभी भी सपना है।
यही वजह है कि बरसात के सीजन में खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए पलायन करना पड़ता है। यहां से क्रिकेट, टेबिल टेनिस, बॉक्सिंग समेत अन्य खेलों का सामान शहर से दुनियाभर में निर्यात किया जाता है। उद्यमियों को भी कोई बड़ी राहत यहां नहीं मिल रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सलावा की खेल विवि का नाम मेजर ध्यान चंद के नाम पर रख दिया है। खेल विवि से प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा ट्रैप शूटिंग रेंज के निर्माण के लिए गगोल और स्टेडियम में 56 टारगेट वाली रेंज बनेगी। स्टेडियम में हॉकी एस्ट्रोटर्फ बिछाया जा रहा है।
कैलाश प्रकाश स्टेडियम में 16 खेलों में पांच कोच ही नियुक्त हैं, इनमें चार स्थायी, जबकि एक अस्थायी कोच है। स्टेडियम में सभी खेलों में 150 से ज्यादा खिलाड़ी पंजीकृत हैं। यहां क्रिकेट, कुश्ती, शूटिंग, स्वीमिंग, बॉक्सिंग के कोच ही तैनात हैं, अन्य खेलों के प्रशिक्षक नहीं है।
शहर से निकले क्रिकेटरों ने खूब नाम कमाया। भुवनेश्वर कुमार, प्रवीण कुमार, प्रियम गर्ग, कार्तिक त्यागी, करण शर्मा, सौरभ कुमार, शुभम मावी जैसे क्रिकेटरों ने दमखम दिखाया है। भामाशाह पार्क में सुविधाएं मिल रही है।
हॉकी में ओलंपियन एमपी सिंह, रोमियो जेम्स, वंदना कटारिया, निशानेबाजी में सौरभ चौधरी, आभा ढ़िल्लन, शहजर रिजवी, भाला फेंक अन्नू रानी, पैदल चाल में प्रियंका गोस्वामी, कुश्ती में अलका तोमर ने नाम रोशन किया है।
- स्टेडियम में अस्थायी रेंज में अभ्यास कर रहे हैं। जल्द ही 56 टारगेट वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की रेंज बननी चाहिए। – अभिनव चौहान, राष्ट्रीय शूटर
- स्टेडियम में पिछले डेढ़ साल से एथलेटिक कोच नहीं है, जिसके कारण गांव में ही भाला फेंक का अभ्यास करता पड़ रहा है। – आरजू , भाला फेंक खिलाड़ी
- बारिश होने के बाद स्टेडियम छोड़कर हरियाणा चले जाते हैं, क्योंकि वहां सिंथेटिक ट्रैक पर अभ्यास होता है। – सनी, भाला फेंक खिलाड़ी
- स्कूली स्तर पर खेलों को मजबूत करने की जरूरत है। जिससे खिलाड़ी खेलों की बेसिक मजबूती के साथ आगे बढ़ सके। – एमपी सिंह, पूर्व ओलंपियन
- एथलीटों ने शानदार प्रदर्शन किया। खेल विभाग को जल्द सिंथेटिक ट्रैक बनवा देना चाहिए। इससे परिणाम अच्छे मिलेंगे। – राजाराम, पूर्व उपक्रीड़ा अधिकारी
- चीन और जापान जैसे देशों से सीख लेने की जरूरत है। सुविधाएं मिलेंगी तो खिलाड़ी पदक जीतेंगे। सुविधाएं बढ़नी चाहिए। – वरुण मक्कड़, निदेशक, एचआरएस