आपात स्थिति में सही समय पर दी गई फर्स्ट एड किसी की जान बचा सकती है। यह जानना बेहद जरूरी है कि फर्स्ट एड के दौरान कौन से कदम उठाने चाहिए और किन गलतियों से बचना चाहिए। फर्स्ट एड दुर्घटना या हादसे के बाद प्राथमिक उपचार होता है, जिसके बाद मरीज को डॉक्टर के पास ले जाना आवश्यक है।
फर्स्ट एड वह प्राथमिक उपचार होता है, जो किसी इमरजेंसी सिचुएशन में मरीज को दिया जाता है. यह फर्स्ट एड सबसे जरूरी ट्रीटमेंट होता है, क्योंकि इस दौरान उठाए गए कदम से किसी की जान बचाई जा सकती है और अगर इस दौरान कुछ गलतियां हो जाए, तो यह घातक भी साबित हो सकता है. ऐसे में फर्स्ट एड के ये चार तरीका आपको जरूर पता होना चाहिए, जिससे आप किसी की जान बचा सकें. इसमें सीपीआर और ब्लीडिंग रोकने जैसे कई बेसिक स्किल्स आपको पता होना चाहिए।
फर्स्ट एड किट रखें रेडी
आप अपनी गाड़ी में या घर पर एक फर्स्ट एड किट जरूर रखें, आप एक खाली डब्बा लें, उसके ऊपरी हिस्से पर लाल रंग के टेप से क्रॉस का साइन बनाएं ताकि इमरजेंसी में उसे पहचान में कोई दिक्कत ना हो. इसमें आप बैंडेड से लेकर एंटीसेप्टिक क्रीम, बुखार, सिर दर्द, डायरिया की दवा, पेन रिलीफ स्प्रे, गरम पट्टी, बरनोल, एंटी बैक्टीरियल दवा, डिटॉल जैसी चीज रख सकते हैं. यह फर्स्ट एड किट आप बच्चों के स्कूल बैग में भी बनाकर रख सकते हैं।
फर्स्ट एड के लिए चार स्किल जरूर सीखें
सही जानकारी और निर्णय लेना है जरूरी- किसी भी आपात स्थिति में सबसे पहले व्यक्ति को पैनिक नहीं होना चाहिए और समझदारी से काम लेकर तुरंत एंबुलेंस को बुलाएं या सीपीआर शुरू कर दें।
ब्लीडिंग कैसे रोकें- अगर किसी इमरजेंसी सिचुएशन में मरीज के घाव से खून बह रहा है और इसे तुरंत रोकना है, तो आप एक साफ कपड़ा या पट्टी से घाव को कस कर बांध दें और घाव को ऊंचाई पर रखें. जैसे- अगर पैर में चोट लगी है तो पैर को सीधा रखें इससे ब्लीडिंग रुक सकती है।
जलने की स्थिति में क्या करें– अगर कोई व्यक्ति जल गया है और उसे फर्स्ट एड देना है, तो आप ठंडे पानी में प्रभावित हिस्से को 10 से 15 मिनट तक रखें. जलने वाली जगह पर कभी भी टूथपेस्ट या बर्फ का टुकड़ा रगड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे घाव बढ़ सकता है।
हड्डी टूटने या फ्रैक्चर होने पर क्या करें- कई बार इमरजेंसी सिचुएशन में मरीज की हड्डी टूट जाती है या फ्रैक्चर हो जाता है, ऐसी स्थिति में व्यक्ति को हिलाने की कोशिश ना करें. आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और तब तक मरीज के प्रभावित हिस्से को हिलाने डुलाने या छूने से बचें।