ब्रह्म योग में वरुथिनी एकादशी आज, बारस की श्रीविष्णु कृपा


बरेली। वैशाख मास विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है। वही, वैशाख मास कृष्ण पक्ष एकादशी का पूजन- अर्चन, व्रत- उपवास करने से भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद भक्तों को मिलता है। इस एकादशी पर पूजा और व्रत करने से भगवान का रक्षा कवच मिलता है इसलिए इस एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है।वरुधिनी एकादशी का प्रारंभ वैसे तो 23 अप्रैल को शाम 4:42 से शुरू होगा।

जो 24 अप्रैल बृहस्पतिवार को दोपहर 2:31 तक रहेगा। दरअसल, एकादशी का व्रत उदयातिथि में किया जाता है। जिसके चलते एकादशी का व्रत-उपवास,पूजा -पाठ बृहस्पतिवार को होगा। सबसे खास बात तो यह है कि, गुरुवार के दिन ब्रह्म योग रहेगा। ब्रह्म योग ज्योतिष में कई तरह के लाभ देता है। यह विशेष रूप से उच्च शिक्षा, ज्ञान, धन, यात्रा और संतान के मामलों में सकारात्मक माना जाता है।

इसलिए इस बार यह एकादशी भक्तों को वरदान की तरह साबित होगी।भगवान श्रीकृष्ण ने पद्म पुराण में वैशाख मास कृष्ण पक्ष एकादशी को वरुथिनी एकादशी बताया है। उन्होंने युधिष्ठिर को बताया कि जो दस हजार सालों तक तपस्या करता है उतना ही फल इस एकादशी का व्रत करने से मिलता है। धुंधुमार और मान्धाता जैसे कई राजाओं ने इस एकादशी का व्रत किया। जिससे उनको सरलता से मोक्ष की प्राप्ति हुई।

इस एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास किया जाता है। इससे कठिन तपस्या के बराबर फल मिलता है और पुण्य में बढ़ोतरी होती है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है। किस एकादशी का व्रत सौभाग्य देने वाला, सब पापों को नष्ट कर के रक्षा करने वाला माना जाता है।

वरुथिनी एकादशी विधि

एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ में या फिर घर पर ही पवित्र नदी के जल मिलकर स्नान करें।भगवान की मूर्ति के सामने बैठकर व्रत, उपवास या दान का संकल्प करना चाहिए। पूरी विधि के साथ भगवान विष्णु और उनके मधुसूदन रूप की पूजा करते हुए ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।

व्रत के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि पर ही व्रत करने वाले को एक बार हविष्यान्न यानी यज्ञ में इस्तेमाल होने वाले अन्न का भोजन करना चाहिए। व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी पर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इसके बाद स्वयं खाना खाएं।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना संपन्न होने के बाद अपनी श्रद्धा के हिसाब से अन्न और जल का दान करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन दान करने से मोक्ष मिलता है और सभी पाप खत्म होते हैं।